×

अहमदाबाद में रक्तदान शिविर: कुपोषण और महिला स्वास्थ्य पर चर्चा

अहमदाबाद में आयोजित रक्तदान शिविर में 178 रक्त यूनिट एकत्रित किए गए। इस अवसर पर कुपोषण और महिला स्वास्थ्य पर चर्चा की गई। मगनभाई पटेल ने बताया कि भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, विशेषकर महिलाओं में। उन्होंने सभी से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की अपील की। जानें इस शिविर में और क्या हुआ और कैसे समाज सेवा के कार्यों में योगदान दिया जा रहा है।
 

रक्तदान शिविर का आयोजन

भारत में विभिन्न सामाजिक संगठन, गैर-सरकारी संगठन (NGOs) और सरकारी संस्थाएं नियमित रूप से रक्तदान शिविरों का आयोजन करती हैं। इस वर्ष भी अहमदाबाद के वटवा क्षेत्र में जतिन ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कंपनी के कर्मचारी, फार्मा कंपनियों के कर्मचारी, श्रमिक और महिलाएं शामिल हुए। इस शिविर में 178 रक्त यूनिट एकत्रित किए गए, जिसके लिए जतिन ग्रुप को वटवा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा सर्वाधिक रक्त यूनिट एकत्रित करने के लिए सम्मानित किया गया। पिछले वर्ष भी इस ग्रुप ने 130 यूनिट रक्त एकत्रित किया था और प्रथम स्थान प्राप्त किया था। वटवा जीआईडीसी एसोसिएशन द्वारा हर साल लगभग 2500 यूनिट रक्त एकत्रित किया जाता है।


कुपोषण की समस्या

मगनभाई पटेल ने एक साक्षात्कार में बताया कि भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, विशेषकर महिलाओं में। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम, अन्य राज्य सरकारें और विभिन्न NGOs इस दिशा में प्रयासरत हैं, लेकिन यह जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं है। सभी को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा ताकि "स्वस्थ महिला, विकसित भारत" का लक्ष्य हासिल किया जा सके।


महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान

महिलाओं की जिम्मेदारियों को देखते हुए उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। कामकाजी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव का सामना करती हैं, जिससे आयरन और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। हिंदू संस्कृति में इसे धार्मिक मान्यता से जोड़ा गया है ताकि महिलाएं आराम कर सकें। यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक व्यवस्था है।


प्रसव के बाद की देखभाल

मगनभाई पटेल ने कहा कि प्रसव के बाद महिलाओं को पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। पहले के समय में प्रसव के बाद महिलाओं को 45 दिनों तक आराम करने की सलाह दी जाती थी। लेकिन आजकल, महिलाएं जंक फूड के कारण अपने बच्चों को पर्याप्त स्तनपान नहीं करातीं, जिससे बच्चे कुपोषित हो जाते हैं।


धार्मिक आस्था और कुपोषण

एक रिपोर्ट के अनुसार, नवरात्रि के दौरान धार्मिक संस्थानों में बड़ी मात्रा में घी चढ़ाया जाता है। अगर इसे गरीब महिलाओं और गर्भवती महिलाओं में वितरित किया जाए, तो इससे कुपोषण की समस्या को हल किया जा सकता है।


महिलाओं के लिए पोषण की आवश्यकता

मगनभाई पटेल ने कहा कि आजकल बाजार में फल और सब्जियों की कीमतें बहुत अधिक हैं, जिससे गरीब परिवारों के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल हो जाता है। सामाजिक संगठनों और NGOs को इस दिशा में काम करना चाहिए ताकि उचित मूल्य पर फल और सब्जियां जरूरतमंदों तक पहुंच सकें।


समाज सेवा में योगदान

जतिन ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के निदेशक जतिनभाई पटेल ने समाज सेवा के कार्यों में सक्रियता दिखाई है। उन्होंने स्वास्थ्य शिविरों और रक्तदान शिविरों का आयोजन किया है और गरीब मरीजों को वित्तीय सहायता प्रदान की है।


कुपोषण के खिलाफ सामूहिक प्रयास

मगनभाई पटेल ने कहा कि कुपोषण को समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों को भी इस दिशा में सक्रियता दिखानी चाहिए।