×

असम सरकार ने दो बच्चों की नीति में संशोधन किया, विशेष समुदायों को मिली छूट

असम सरकार ने हाल ही में दो बच्चों की नीति में महत्वपूर्ण संशोधन किया है, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य विशेष समुदायों को छूट दी गई है। इस बदलाव के तहत, इन समुदायों के सदस्य अब तीन बच्चों के साथ भी सरकारी नौकरी और अन्य लाभ प्राप्त कर सकेंगे। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने इस निर्णय को विलुप्त होने से बचाने की दिशा में एक कदम बताया है। जानें इस नीति के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

असम में दो बच्चों की नीति में बदलाव

असम सरकार ने शुक्रवार को दो बच्चों की नीति में संशोधन करते हुए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), चाय बागान, मोरन और मटक समुदायों को इस नीति से छूट प्रदान की है।


इस नए आदेश के अनुसार, इन समुदायों के सदस्य, जिनके पास तीन बच्चे हैं, सरकारी नौकरी, चुनाव में भाग लेने और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए प्रोत्साहन प्राप्त करने के योग्य होंगे।


स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आयुक्त पतिबंडला अशोक बाबू द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कुछ विशेष समुदायों के लिए दो बच्चों की शर्त को समाप्त कर इसे तीन बच्चों तक बढ़ा दिया गया है।


उन्होंने कहा, 'असम के राज्यपाल को असम की जनसंख्या और महिला सशक्तीकरण नीति (संशोधन), 2025 की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।'


इस आदेश में उल्लेख किया गया है कि असम की जनसंख्या एवं महिला सशक्तीकरण नीति, 2017 में आवश्यक संशोधन किया गया है।


असम मंत्रिमंडल ने 23 अक्टूबर को सरकारी नौकरी के लिए एसटी, चाय बागान, मोरन और मटक समुदायों के लिए दो बच्चों के मानदंड को समाप्त करने का निर्णय लिया था, और शुक्रवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई।


राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार ने इन समुदायों को विलुप्त होने से बचाने के लिए उन्हें जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों से बाहर रखने का निर्णय लिया है।


उन्होंने कहा, 'यदि हम इस नीति पर कायम रहे, तो ये समुदाय अपनी विशिष्ट पहचान खो देंगे और अगले 50 वर्षों में धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएंगे।'


असम लोक सेवा (सीधी भर्ती में छोटे परिवार के मानदंडों का अनुप्रयोग) नियम, 2019 के अनुसार, दो बच्चों की नीति जनवरी 2021 से लागू की गई थी।