×

असम सरकार का ऐतिहासिक निर्णय: अवैध घुसपैठियों के खिलाफ नई SOP लागू

असम सरकार ने अवैध घुसपैठियों के खिलाफ एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू की है, जो जिला कलेक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सीधे कार्रवाई का अधिकार देती है। यह निर्णय अवैध प्रवासियों की पहचान और निष्कासन की प्रक्रिया को तेज करेगा, जिससे राज्य की सुरक्षा और स्थिरता में सुधार होगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस कदम को ऐतिहासिक बताया है, जो न केवल असम बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। यह निर्णय अवैध प्रवासियों के बोझ को कम करने और स्थानीय समुदाय के विश्वास को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।
 

असम सरकार का नया कदम

असम सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो न केवल राज्य की बल्कि पूरे देश की जनसांख्यिकीय सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता के लिए बेहद आवश्यक है। असम कैबिनेट ने नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंजूरी दी है, जिसके तहत जिला कलेक्टर (DC) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को अवैध घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें 10 दिनों के भीतर देश से बाहर निकालने का अधिकार दिया गया है। यह निर्णय असम में लंबे समय से चल रहे अवैध प्रवासियों के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


पहले की प्रक्रिया में बदलाव

अब तक अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया Foreigners’ Tribunals के माध्यम से होती थी, जिससे मामला लंबा खिंच जाता था और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने में वर्षों लग जाते थे। वर्तमान में 82,000 से अधिक मामले लंबित हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि यह नई व्यवस्था न केवल बोझ को कम करेगी बल्कि न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग को भी रोकेगी।


नई SOP के तहत प्रक्रिया

नई SOP के अनुसार, सीमा पार करने के 12 घंटे के भीतर पकड़े गए घुसपैठियों को तुरंत वापस भेजा जाएगा। यदि कोई व्यक्ति 10 दिनों में भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं प्रस्तुत कर पाता, तो DC उसे निष्कासन आदेश जारी करेगा और 24 घंटे के भीतर निर्धारित मार्ग से देश छोड़ने का निर्देश दिया जाएगा। इसके अलावा, बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा तुरंत पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा। आदेश की अवहेलना करने वालों को होल्डिंग सेंटर या BSF के हवाले किया जाएगा।


अवैध प्रवासियों की समस्या

असम की सबसे बड़ी चिंता अवैध बांग्लादेशी मुसलमानों की बढ़ती संख्या रही है। 1980 के दशक में विदेशी-विरोधी आंदोलन इसी मुद्दे से उपजा था, जिसने अंततः 1985 के असम समझौते का रूप लिया। इस नई SOP के माध्यम से पहली बार 1950 के Immigrants (Expulsion from Assam) Act को प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी संवैधानिक रूप से मान्यता दी है।


स्थानीय समुदाय पर प्रभाव

अवैध प्रवासी असम के मूल निवासियों और विशेषकर जनजातीय समाज के लिए असुरक्षा का कारण बने हुए हैं। नए कानून से इस पर अंकुश लगेगा। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी सेवाओं पर अवैध प्रवासियों का बोझ घटेगा। अवैध घुसपैठ आतंकवाद, अपराध और तस्करी को भी बढ़ावा देती है। त्वरित निष्कासन से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। असम की राजनीति लंबे समय से “विदेशी बनाम स्थानीय” बहस में उलझी रही है, और इस फैसले से स्थानीय जनता का विश्वास सरकार पर और मजबूत होगा।


केंद्र और राज्य सरकारों का संदेश

असम सरकार का यह निर्णय केवल राज्य तक सीमित नहीं है। इसका संदेश यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें यदि चाहें तो संवैधानिक प्रावधानों के तहत अवैध प्रवासियों को बाहर करने का ठोस रास्ता निकाल सकती हैं। यह कदम उन अन्य सीमावर्ती राज्यों के लिए भी उदाहरण बनेगा, जहां बांग्लादेश और म्यांमार से घुसपैठ की समस्या है।


भविष्य की दिशा

असम सरकार का यह साहसिक निर्णय न केवल राज्य की पहचान और सुरक्षा की रक्षा करेगा बल्कि पूरे देश के लिए “अवैध घुसपैठ मुक्त भारत” अभियान में सहायक सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने जिस दृढ़ संकल्प से इस मुद्दे को आगे बढ़ाया है, वह दिखाता है कि भारत अब अवैध प्रवासियों के बोझ को ढोने को तैयार नहीं है। यह कदम आने वाले वर्षों में असम की राजनीति और सामाजिक संरचना में स्थायी बदलाव ला सकता है।