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असम में विदेशी नागरिकों की वापसी की नीति पर मुख्यमंत्री सरमा का बयान

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य में विदेशी नागरिकों की वापसी की नीति पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने एनआरसी में नामों की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह नागरिकता का एकमात्र प्रमाण नहीं हो सकता। इसके अलावा, उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया कि वे एनआरसी में हेरफेर करने के लिए युवाओं को प्रेरित कर रहे थे। कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने इस नीति की आलोचना की है और इसे असंवैधानिक बताया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

मुख्यमंत्री सरमा की नीति पर बयान

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार की नीति विदेशियों को वापस भेजने की है, चाहे उनका नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में क्यों न हो। उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी में नामों की प्रविष्टि को लेकर संदेह की गुंजाइश है, और यह किसी व्यक्ति की नागरिकता का एकमात्र प्रमाण नहीं हो सकता। दरांग में एक कार्यक्रम के दौरान सरमा ने कहा, 'कई व्यक्तियों ने अनुचित तरीकों से एनआरसी में नाम दर्ज कराया है, इसलिए हमने यह नीति बनाई है कि यदि प्राधिकारी यह सुनिश्चित कर लें कि संबंधित व्यक्ति विदेशी है, तो उसे वापस भेजा जाएगा।' उन्होंने यह भी कहा कि एनआरसी में नाम होना यह तय करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि कोई व्यक्ति अवैध प्रवासी नहीं है।


सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आरोप

मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हर्ष मंदर ने असम में दो साल बिताए और कुछ युवाओं को शिक्षा के लिए अमेरिका और इंग्लैंड भेजा, साथ ही उन्हें एनआरसी में हेरफेर करने के लिए प्रेरित किया। सरमा ने कहा, 'हमें उस समय इन साजिशों का पता नहीं था। मुख्यमंत्री बनने के बाद मुझे इन मामलों की जानकारी मिली।' उन्होंने बताया कि मंगलवार रात को 19 और बुधवार रात को 9 लोगों को वापस भेजा गया।


नागरिकता पर संदेह और कांग्रेस का विरोध

असम में पिछले महीने से कई लोगों की नागरिकता पर संदेह के चलते उन्हें पकड़ा गया है, जिनमें से कई को बांग्लादेश भेजा गया है। कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री जानबूझकर विदेशी अधिनियम और भारतीय नागरिकता अधिनियम को मिलाकर जनता में भय पैदा कर रहे हैं। उन्होंने असम सरकार की कार्रवाई की निंदा की और इसे असंवैधानिक बताया। हुसैन ने कहा कि असम समझौते के अनुसार विदेशियों का पता लगाना और उन्हें निर्वासित करना आवश्यक है, और एनआरसी इस दिशा में एक प्रक्रिया है।


राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर गृह मंत्री का बयान

22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद देशभर में सत्यापन अभियान शुरू हुआ, और 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत तेजी आई। इस अभियान के तहत हजारों बांग्लादेशियों को उनके देश वापस भेजा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फरवरी में कहा था कि अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और इसे गंभीरता से निपटाया जाना चाहिए।