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असम में लागू 75 साल पुराना कानून: बांग्लादेशियों को राज्य छोड़ने का आदेश

असम सरकार ने हाल ही में 75 साल पुराने कानून का उपयोग करते हुए पांच बांग्लादेशियों को विदेशी घोषित किया और उन्हें राज्य छोड़ने का आदेश दिया है। यह कदम राज्य की आंतरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। जानें इस कानून की पृष्ठभूमि और इन व्यक्तियों की पहचान के बारे में। क्या यह कार्रवाई विवाद का कारण बनेगी? पूरी जानकारी के लिए पढ़ें।
 

असम सरकार की कार्रवाई

हिमंत बिस्वा सरमा

असम सरकार ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। हाल ही में सोनितपुर जिले में पांच व्यक्तियों को विदेशी घोषित किया गया है। इसके साथ ही, उन्हें निष्कासन कानून के तहत 24 घंटे के भीतर राज्य छोड़ने का आदेश दिया गया है। सरकार ने इसे राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया है।

पुलिस इन पांचों व्यक्तियों की खोज कर रही है, लेकिन अभी तक कोई भी सामने नहीं आया है और न ही उनके बारे में कोई जानकारी मिली है। जांच एजेंसियों के अनुसार, ये लोग फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (FT) द्वारा 'विदेशी' घोषित किए गए थे। सरकार के निर्देशानुसार, इनके नाम सरकारी योजनाओं से भी हटा दिए जाएंगे।

अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई 2006 में पुलिस अधीक्षक (सीमा) द्वारा दर्ज मामलों के आधार पर की गई है। हालांकि, इस निर्णय पर कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताया है। इस कानून के तहत असम सरकार को अवैध प्रवासियों को बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया के सीधे निकालने का अधिकार है।

इनकी पहचान क्या है?

प्रशासन ने बताया कि ये पांचों व्यक्ति लंबे समय से असम में निवास कर रहे थे, जबकि असल में ये बांग्लादेशी नागरिक हैं। उनकी पहचान हनुफा, मरियम नेसा, फ़ातिमा, मोनोवारा और अमजद अली के रूप में की गई है। पहचान से पहले इनकी पूरी जानकारी इकट्ठा की गई थी। ये लोग सोनितपुर जिले के जमुगुरीहाट थाना क्षेत्र के धोबोकाटा गांव में रहते थे।

डेडलाइन समाप्त

सोनितपुर डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर (DC) आनंद कुमार दास ने 1950 एक्ट के तहत 19 नवंबर को यह आदेश जारी किया था। इसमें पांचों व्यक्तियों को आदेश मिलने के 24 घंटे के भीतर धुबरी/श्रीभूमि/साउथ सलमारा-मनकाचर रूट से असम छोड़ने का निर्देश दिया गया था। यह डेडलाइन गुरुवार को समाप्त हो गई है। इस कानून को 1950 में बनाया गया था, लेकिन इसका उपयोग बहुत कम होता है। लंबे समय बाद सरकार और प्रशासन ने इस कानून का सहारा लिया है.