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असम में रूफटॉप सोलर ऊर्जा का अपार संभावनाएं

असम में रूफटॉप सोलर ऊर्जा की क्षमता 13,000 मेगावाट है, जो राज्य की वार्षिक बिजली मांग को पूरा कर सकती है। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे प्रक्रियाओं की जटिलता और वित्तपोषण की कमी। सरकार ने कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन नागरिकों की भागीदारी भी आवश्यक है। इस लेख में असम की ऊर्जा कहानी, रूफटॉप सोलर के लाभ और इसके भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की गई है।
 

असम की ऊर्जा कहानी में नया मोड़


एक नई अध्ययन के अनुसार, असम में रूफटॉप सोलर ऊर्जा की क्षमता 13,000 मेगावाट है, जो राज्य की वार्षिक बिजली मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन इसके कार्यान्वयन में क्या बाधाएं हैं?


असम वर्तमान में ऊर्जा की कमी का सामना कर रहा है। अगले दशक में बिजली की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है, जिससे राज्य को बढ़ती खपत को पूरा करने और प्रदूषण फैलाने वाले जीवाश्म ईंधनों से दूर जाने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। वर्तमान में, असम की 70% से अधिक बिजली कोयले और गैस से आती है, जबकि केवल 9% नवीकरणीय स्रोतों से है।


रूफटॉप सोलर का महत्व

रूफटॉप सोलर असम के लिए एक व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान बनता जा रहा है। यह बड़े सौर पार्कों या जलविद्युत परियोजनाओं की तुलना में अतिरिक्त भूमि या भारी खर्च की आवश्यकता नहीं होती है, केवल अनुपयोगी छत की जगह की जरूरत होती है। यह सीधे लोगों के हाथों में बिजली पहुंचाता है और असम की भौगोलिक स्थिति के साथ भी मेल खाता है।


राज्य ने कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं। असम की स्वच्छ ऊर्जा नीति अब 2030 तक 1,900 मेगावाट रूफटॉप सोलर का लक्ष्य रखती है, जबकि पहले यह 300 मेगावाट था।


सरकारी पहल और संभावनाएं

सरकार ने प्रति किलोवाट 15,000 रुपये की सब्सिडी की पेशकश की है, इसके अलावा केंद्रीय योजनाएं भी हैं। असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (APDCL) इस दिशा में अग्रणी है।


iFOREST द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, असम में कुल 737.1 किमी² रूफटॉप उपलब्धता है, जिसमें से 86% ग्रामीण क्षेत्रों में है।


शहरों में संभावनाएं

कमरूप मेट्रोपॉलिटन जैसे शहरी केंद्रों में सबसे अधिक संभावनाएं हैं। गुवाहाटी में 625 से 985 मेगावाट रूफटॉप सोलर की क्षमता है। यदि पूरी तरह से उपयोग किया जाए, तो यह शहर की थर्मल पावर पर निर्भरता को कम कर सकता है।


रूफटॉप सोलर के लाभ

रूफटॉप सोलर न केवल किफायती है, बल्कि यह हर परिवार, स्कूल, दुकान और गांव के लिए उपलब्ध है। यह बिजली के बिलों को 50% से 90% तक कम कर सकता है।


यह शून्य-कार्बन है और स्थानीय समुदायों द्वारा संचालित है। यदि असम अपनी पूरी 13,000 मेगावाट क्षमता का दोहन करता है, तो इससे 1.8 लाख नौकरियों का सृजन हो सकता है।


चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि, अच्छी नीतियाँ भी विफल हो सकती हैं यदि सिस्टम प्रतिक्रियाशील नहीं हैं। असम को प्रक्रियाओं को सरल बनाना होगा, वित्तपोषण को अनलॉक करना होगा और गुणवत्ता सुनिश्चित करनी होगी।


स्थानीय कौशल और गुणवत्ता जांच में निवेश करना आवश्यक है।


नागरिकों की भूमिका

नागरिकों को भी इस प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए। अपने पड़ोसियों से सोलर पैनल के बारे में पूछें और विक्रेताओं से कोट मांगें।


कल्पना करें कि हर घर सौर ऊर्जा से संचालित हो। यह असम के लिए स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।


निष्कर्ष

असम को स्वच्छ ऊर्जा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि यह हर परिवार, गांव और समुदाय के लिए सौर ऊर्जा का लाभ उठा सके।


लेखक

सुहैल मीर