असम में कोच-राजबोंगशी समुदाय के विरोध प्रदर्शन में हिंसा
असम के धुबरी में कोच-राजबोंगशी समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने की मांग को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई। यह प्रदर्शन पहले शांतिपूर्ण था, लेकिन पुलिस की कार्रवाई के बाद स्थिति बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों ने 12 घंटे का बंद आह्वान किया है। इस आंदोलन में अन्य समुदाय भी शामिल हैं, जो दशकों से अपनी मांगें उठा रहे हैं। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
Sep 12, 2025, 19:09 IST
असम में फिर से बढ़ी अशांति
इस सप्ताह असम में धुबरी के गोलकगंज में कोच-राजबोंगशी समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा प्राप्त करने की मांग को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी। यह प्रदर्शन, जो पहले शांतिपूर्ण था, पुलिस की कार्रवाई के बाद झड़पों में बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप 12 घंटे का बंद हुआ और लंबे समय से लंबित संवैधानिक मान्यता की मांग फिर से चर्चा में आ गई।
हिंसा की उत्पत्ति
हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?
बुधवार की रात, अखिल कोच-राजबंशी छात्र संघ (AKRSU) ने चिलाराई कॉलेज से गोलकगंज बाजार तक मशाल जुलूस निकाला। अनुसूचित जनजाति का दर्जा और अलग 'कामतापुर' राज्य की मांग को लेकर आयोजित इस रैली में हजारों लोग शामिल हुए। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास किया, जिसके चलते कई लोग, विशेषकर महिलाएं, घायल हो गए। इस घटना ने व्यापक आक्रोश को जन्म दिया और एकेआरएसयू ने धुबरी में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया।
अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की मांग
अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की मांग
कोच-राजबोंगशी समुदाय इस आंदोलन में अकेला नहीं है। उनके साथ अन्य पाँच समुदाय - ताई-अहोम, चुटिया, मटक, मोरन और चाय जनजातियाँ - भी दशकों से अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके भूमि अधिकारों, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए यह मान्यता आवश्यक है।