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असम में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है। उन्होंने 1950 के कानून का उपयोग करते हुए अवैध विदेशियों की पहचान और उन्हें बेदखल करने की प्रक्रिया को तेज करने की योजना बनाई है। सरमा ने कांग्रेस पर भी आरोप लगाया कि वह नागरिकता के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती। जानें इस अभियान के बारे में और क्या कदम उठाए जाएंगे।
 

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का बयान

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में एक ट्वीट में कहा कि वह पहले असमिया हैं और बाद में मुख्यमंत्री। उन्होंने यह भी बताया कि उनके सभी कार्य असम के हितों की रक्षा के लिए हैं। सरमा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से प्रेरणा लेना उनकी यात्रा का हिस्सा है। उन्होंने अवैध घुसपैठ के खिलाफ अपनी सशक्त लड़ाई में एक विशेष प्रावधान का उल्लेख किया, जो जिला आयुक्तों को असम से घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें बाहर निकालने का अधिकार देता है। पिछले कुछ महीनों में, राज्य ने 330 से अधिक अवैध प्रवासियों को वापस भेजा है और इस अभियान को और तेज करने की योजना है।


1950 के कानून का उपयोग

सोमवार को, सरमा ने कहा कि राज्य सरकार अवैध विदेशियों की पहचान और उन्हें बेदखल करने के लिए 1950 के कानून का सहारा लेगी। उन्होंने बताया कि यह कानून जिला आयुक्तों को अवैध अप्रवासी घोषित करने और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का अधिकार देता है। एक विशेष विधानसभा सत्र में बोलते हुए, उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह 'नागरिकता' को महत्व नहीं देती, यह कहते हुए कि पार्टी के एक नेता के परिवार के चार सदस्यों में से तीन विदेशी हैं।


विपक्ष पर कटाक्ष

सरमा ने विपक्षी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गौरव गोगोई पर भी कटाक्ष किया, जो विधानसभा की आगंतुक दीर्घा में बैठे थे। मुख्यमंत्री ने गोगोई को अपनी ब्रिटिश पत्नी के माध्यम से पाकिस्तान के साथ कथित संबंधों के लिए निशाना बनाया। विदेशियों की पहचान और उन्हें वापस भेजने के मुद्दे पर, सरमा ने कहा कि राज्य सरकार इस उद्देश्य के लिए अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 को लागू करेगी।