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अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड: भारत में मोटापे का बढ़ता खतरा

अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता उपयोग भारत में मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रहा है। हाल ही में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि ये खाद्य पदार्थ ताजे खाद्य पदार्थों की जगह ले रहे हैं, जिससे दीर्घकालिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता है। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है और कैसे हम इस संकट का सामना कर सकते हैं।
 

अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का प्रभाव

मोटापे का कारण बन रहा अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड.Image Credit source: Getty Images

अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड हमारे जीवन में एक धीमे जहर के रूप में कार्य कर रहा है, जिसका खतरा हम समझ नहीं पा रहे हैं। चिकित्सा की प्रमुख पत्रिका द लैंसेटे ने हाल ही में तीन शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जिनमें यह बताया गया है कि अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ ताजे और कम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की जगह ले रहे हैं, जिससे आहार की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है और कई दीर्घकालिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। यह जानकारी 43 वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा साझा की गई है।


आहार में बदलाव की समस्या

आहार परिवर्तन एक बड़ी समस्या

द लैंसेट के शोध में शामिल डॉ. अरुण गुप्ता ने बताया कि भारत में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। पारंपरिक घर के बने खाने की जगह अब ये खाद्य पदार्थ ले रहे हैं, जो अधिकतर वसा, चीनी और नमक से भरे होते हैं। इनका औद्योगिक निर्माण इस तरह किया जाता है कि लोग इनकी आदत डाल लें।


स्वास्थ्य पर प्रभाव

रोगों को बढ़ावा देने वाला चिंताजनक बदलाव

डॉ. वन्दना ने बताया कि भारत की खाद्य प्रणाली तेजी से अस्वास्थ्यकर आहार का निर्माण कर रही है। आक्रामक विपणन और सेलिब्रिटी विज्ञापनों के माध्यम से, अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ रही है। खुदरा दुकानों में अब नमकीन, नूडल्स, बिस्कुट और मीठे पेय पदार्थों की भरमार है, जो बच्चों और युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं।


भारत में मोटापे का संकट

भारत के सामने सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट

अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के कारण भारत में मोटापे का स्तर चिंताजनक है, जहां 4 में से 1 व्यक्ति प्रभावित है। मधुमेह और प्रीडायबिटीज़ के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। यह शोध बताता है कि अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और अन्य दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है।


नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता

नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता

डॉ. अरुण गुप्ता ने सुझाव दिया कि सरकार को यूपीएफ के उत्पादन और विपणन को नियंत्रित करने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता है। इसके साथ ही, सभी के लिए पौष्टिक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।


खाने का वर्गीकरण

कैसे होता है खाने का क्लासिफिकेशन

डॉ. वन्दना ने बताया कि खाद्य पदार्थों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। पहले श्रेणी में प्राकृतिक खाद्य पदार्थ होते हैं, जबकि चौथी श्रेणी में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ आते हैं, जो असल में खाद्य नहीं होते।


फिल्मी सितारों की भूमिका

फिल्मी सितारों के बचना चाहिए

डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा कि फिल्मी सितारों को अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के विज्ञापनों से दूर रहना चाहिए, ताकि आम जनता इस प्रकार के खाद्य पदार्थों से बच सके।