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अलीगढ़ में महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र बन गया, पति का नहीं

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक महिला ने अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया, लेकिन गलती से उसका अपना ही प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। यह लापरवाही सरोज देवी के लिए कई समस्याएं खड़ी कर रही है, जिससे वह और उनका बेटा सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इस मामले में उप जिलाधिकारी ने जांच कर सही प्रक्रिया अपनाने के आदेश दिए हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। जानिए इस अनोखी घटना के बारे में और क्या कदम उठाए गए हैं।
 

अलीगढ़ में लापरवाही का मामला


उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक महिला ने अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया, लेकिन गलती से उसका अपना ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। यह घटना खैर तहसील के विकासखंड से संबंधित है, जहां चमन नगरिया गांव की निवासी सरोज देवी ने अपने दिवंगत पति जगदीश प्रसाद के लिए प्रमाण पत्र मांगा था।


सरोज देवी की परेशानियां

यह मामला 2022 से चल रहा है, जिसके कारण सरोज देवी और उनके बेटे को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इस गलती के चलते सरोज देवी का आधार कार्ड, बैंक खाता और अन्य सरकारी योजनाओं से जुड़े कार्य प्रभावित हो गए हैं। जगदीश प्रसाद का निधन 19 फरवरी 2000 को हुआ था, और सरोज देवी ने 2022 में उनके मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था।


गलत प्रमाण पत्र जारी होने की वजह

विकासखंड कार्यालय के सचिव मधुप सक्सेना की लापरवाही के कारण सरोज देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया। यह प्रमाण पत्र 1 दिसंबर 2022 को जारी हुआ, जिसमें सरोज देवी की मृत्यु की तारीख 19 अक्टूबर 2022 दर्ज की गई। यह स्पष्ट रूप से एक क्लर्कल गलती थी, जिससे सरोज देवी को जीवित साबित करने में कठिनाई हो रही है।


SDM की जांच और आदेश

सरोज देवी ने इस मामले की शिकायत खैर के उप जिलाधिकारी से की। SDM ने मामले की जांच कराई और आदेश दिया कि सरोज देवी का गलत मृत्यु प्रमाण पत्र तुरंत रद्द किया जाए। विकासखंड अधिकारी को निर्देश दिए गए कि सही प्रक्रिया के तहत जगदीश प्रसाद का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाए। हालांकि, तीन साल बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।


सरोज देवी की पीड़ा

सरोज देवी ने कहा, "मैं अपने पति का प्रमाण पत्र बनवाने गई थी, लेकिन अधिकारियों ने बिना जांच के मेरा नाम लिख दिया। अब मैं जिंदा हूं, लेकिन कागजों पर मर चुकी हूं। आधार और बैंक सब बंद हैं। तीन साल से चक्कर लगा रही हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।" उनका बेटा भी इस प्रक्रिया में मदद कर रहा है, लेकिन जटिलताओं के कारण राहत नहीं मिल पा रही।