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अरुणाचल में सेना की नई मोनो रेल प्रणाली से तेजी से पहुंचेगी मदद

भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम पहाड़ों में रसद पहुंचाने के लिए एक नई मोनो रेल प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली 16,000 फीट की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक परीक्षण में है और सैनिकों के लिए मदद पहुंचाने की प्रक्रिया को सरल और सुरक्षित बनाएगी। गजराज कॉर्प्स की यह पहल न केवल ऑपरेशनल तत्परता को बढ़ाएगी, बल्कि स्थानीय क्षेत्रों में राहत कार्यों में भी सहायक होगी। जानें इस नई तकनीक के बारे में और कैसे यह सैनिकों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
 

अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में सहायता का नया मार्ग


अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे और कठिन इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए रसद पहुंचाना हमेशा एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। संकरे रास्ते, टूटे ट्रैक, ढीली चट्टानें और मौसम में अचानक बदलाव कई बार ऑपरेशन्स की गति को धीमा कर देते हैं। इस समस्या का समाधान करते हुए भारतीय सेना की गजराज कॉर्प्स (IV Corps) ने एक इन-हाउस हाई एल्टीट्यूड मोनो रेल प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली 16,000 फीट की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक परीक्षण में काम कर रही है।


गजराज कॉर्प्स का नवाचार

कामेंग हिमालय क्षेत्र में कई ऐसे पोस्ट हैं जहां न तो सड़कें हैं और न ही वाहन पहुंच सकते हैं। सैनिकों को लंबे समय से राशन, सब्जियां, हथियार और अन्य आवश्यक उपकरण अपने कंधों पर ले जाने पड़ते थे। नई मोनो रेल इस प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और सरल बनाती है। ट्रॉली में एक बार में दो लोग या समान वजन का सामान ले जाया जा सकता है। प्रारंभिक परीक्षण में सब्जियां और अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाई गई, जिससे इस प्रणाली की व्यावहारिकता सिद्ध हुई।


गजराज कॉर्प्स: पूर्वोत्तर की सुरक्षा का आधार

1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान स्थापित गजराज कॉर्प्स, सेना की पूर्वी कमान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका मुख्यालय तेजपुर (असम) में है। कॉर्प्स का कार्यक्षेत्र अरुणाचल प्रदेश की चीन (तिब्बत) सीमा पर निगरानी, LAC पर तैनाती, काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन्स, असम, नागालैंड, और अरुणाचल में नागरिक सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य करना है। इसके अंतर्गत 71 माउंटेन डिवीजन, 5 डिवीजन और 21 रियल हॉर्न डिवीजन कार्यरत हैं। पहाड़ी युद्ध, घने जंगलों में ऑपरेशन और उच्च ऊंचाई पर जीवित रहने में यह इकाई अत्यधिक अनुभवी मानी जाती है।


आधुनिक तकनीक और संसाधनों से सुसज्जित

गजराज कॉर्प्स उन इकाइयों में से एक है जो आधुनिक आर्टिलरी, हाई-टेक सर्विलांस उपकरण, विशेष बलों की यूनिट और इंजीनियरिंग ब्रिगेड के साथ काम करती है। नई मोनो रेल तकनीक इसी इंजीनियरिंग क्षमता का एक उदाहरण है—जो न केवल लागत-कुशल है, बल्कि स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार तैयार की गई है। यह प्रणाली उन पोस्टों तक सहायता पहुंचाएगी, जहां पहले कई घंटे की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती थी। इससे सैनिकों का समय बचेगा और ऑपरेशनल तत्परता में तेजी आएगी।


स्थानीय क्षेत्रों में सेना की उपस्थिति

कॉर्प्स का योगदान केवल सीमा पर तैनाती तक सीमित नहीं है। उदाहरण के लिए, तवांग के जेमिथांग सर्कल के कुमरोत्सर क्षेत्र में ग्राजियर हट्स की सुविधा जनवरी 2025 में स्थापित की गई। हर साल बाढ़, भूकंप और भूस्खलन के दौरान बड़ी संख्या में राहत अभियान चलाए जाते हैं।