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अरुणाचल प्रदेश में अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान: विवाद और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

अरुणाचल प्रदेश में अवैध प्रवासियों के खिलाफ चल रहे अभियान ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। अरुणाचल प्रदेश इंडिजिनस यूथ ऑर्गेनाइज़ेशन (APIYO) द्वारा मस्जिदों का निरीक्षण और संदिग्ध प्रवासियों की पहचान के प्रयासों ने राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। टारो सोनम लियाक के नेतृत्व में यह अभियान सांप्रदायिकता के आरोपों का सामना कर रहा है। राज्य सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप किया है, जबकि स्थानीय नागरिकों की चिंताएँ भी बढ़ रही हैं। जानें इस जटिल मुद्दे की पूरी कहानी।
 

अरुणाचल प्रदेश में संवेदनशील मुद्दा

अरुणाचल प्रदेश वर्तमान में सामाजिक संवेदनशीलता और राजनीतिक चर्चाओं के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। हाल की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अवैध मस्जिदों की वैधता की जांच और संदिग्ध अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए शुरू किया गया अभियान अब एक बड़ा विवाद बन चुका है। इस विवाद का केंद्र अरुणाचल प्रदेश इंडिजिनस यूथ ऑर्गेनाइज़ेशन (APIYO) है, जो हाल ही में मस्जिदों का निरीक्षण कर रही है और उन लोगों के दस्तावेज़ों की जांच कर रही है जिन्हें वह अवैध प्रवासी मानती है। संगठन का कहना है कि यह अभियान किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए नहीं है, बल्कि अवैध घुसपैठ और अनधिकृत संरचनाओं को रोकने के उद्देश्य से है।


APIYO का अभियान और टारो सोनम लियाक

APIYO के अध्यक्ष टारो सोनम लियाक हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के नए नायक के रूप में उभरे हैं। उनका कहना है कि उनके अभियान का कोई सांप्रदायिक उद्देश्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अभियान किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ है जो बिना वैध दस्तावेजों के राज्य में प्रवेश करते हैं। लियाक ने आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ चलाए जा रहे कुछ वीडियो संपादित हैं और उन्होंने झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।


सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागुन जामा मस्जिद में 27 नवंबर को हुई एक तीखी बहस का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। इस वीडियो में APIYO के महासचिव टापोर मेयिंग और अध्यक्ष टारो सोनम लियाक मस्जिद के मौलवी से “भारत माता की जय” बोलने की मांग करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस घटना के दौरान मस्जिद में भीड़ बढ़ती गई और माहौल तनावपूर्ण हो गया। वीडियो में मौलवी “इंडिया जिंदाबाद” कहकर जवाब देते हैं, लेकिन APIYO के सदस्य उनसे वही नारा दोहराने के लिए दबाव डालते हैं।


राज्य सरकार की प्रतिक्रिया

इस बीच, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने भी हस्तक्षेप किया है। गृह मंत्री मामा नटुंग ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में न ले। उन्होंने आश्वासन दिया है कि राज्य में किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति या जनजाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। राजनीतिक स्तर पर भी यह मुद्दा तेजी से उभर रहा है। अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बीजेपी सरकार पर सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है और कहा है कि राज्य को “विभाजनकारी राजनीति की प्रयोगशाला” नहीं बनने दिया जा सकता।


स्थानीय नागरिकों की चिंताएँ

इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच, राज्य के कई नागरिक मानते हैं कि असली चुनौती यह है कि कैसे मूल निवासियों की पहचान की रक्षा करते हुए सभी समुदायों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित किया जाए। अरुणाचल प्रदेश अपनी शांति, आपसी विश्वास और सह-अस्तित्व की संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह भी सच है कि किसी भी राज्य को यह जांचने का अधिकार है कि उसकी सीमाओं में कौन बिना अनुमति प्रवेश कर रहा है, लेकिन यह अधिकार तभी वैध है जब इसके साथ पारदर्शिता, संवेदनशीलता और जवाबदेही जुड़ी हो।