अयोध्या नगर निगम की ऑडिट रिपोर्ट में 200 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएँ उजागर
अयोध्या नगर निगम की वित्तीय अनियमितताएँ
अयोध्या नगर निगम की हालिया ऑडिट रिपोर्ट में 200 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है, जिसने राज्य सरकार को जवाबदेही के कटघरे में ला खड़ा किया है। महापौर ने सभी ऑडिट आपत्तियों का समाधान करने और यदि कोई कमी पाई जाती है तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यह मामला अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर
अयोध्या नगर निगम में वित्तीय अनियमितताओं के कारण राज्य सरकार को लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात सामने आई है। अधिकारियों के अनुसार, अयोध्या संभाग के स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग के उप निदेशक द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 की एक हालिया ऑडिट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
इस रिपोर्ट में राज्य अनुदानों का दुरुपयोग, बजट का गलत उपयोग, विभिन्न विभागों में अनियमित भुगतान और एक काली सूची में शामिल कंपनी को भुगतान करने जैसी अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट को शहरी विकास सचिव, महालेखाकार और अयोध्या के शीर्ष अधिकारियों को भेजा गया है।
महापौर का जवाब
महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि नगर निगम सभी ऑडिट आपत्तियों का समय पर समाधान करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई कमी पाई जाती है, तो दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन पांडे ने महापौर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, यह कहते हुए कि ऑडिट में जिन संदिग्ध खर्चों का उल्लेख किया गया है, वे राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दौरान हुए थे।
महापौर त्रिपाठी ने समाजवादी पार्टी के आरोपों को निराधार और पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताया, यह आरोप लगाते हुए कि सपा अयोध्या के विकास से नाखुश है और उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रही है।