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अमेरिका में H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि: भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव

अमेरिका में H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि के साथ, भारतीय पेशेवरों के लिए चिंताएँ बढ़ गई हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा $100,000 शुल्क की घोषणा ने आव्रजन वकीलों और कंपनियों को चिंतित कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय पेशेवरों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जो इस वीजा कार्यक्रम का एक बड़ा हिस्सा हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और इसका भविष्य क्या हो सकता है।
 

H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच, एक नई नीति का कदम अमेरिका को अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। आज, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर $100,000 करने की घोषणा की, जिसे अमेरिकी सांसदों द्वारा 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया गया है।


वीजा धारकों की चिंता

इस घोषणा ने विशेष रूप से आव्रजन वकीलों और विदेशी कुशल श्रमिकों पर निर्भर कंपनियों में चिंता पैदा कर दी है। कई लोग अब H-1B वीजा धारकों और उनके परिवारों से अपील कर रहे हैं कि वे अगले 24 घंटों के भीतर अमेरिका लौट आएं, अन्यथा उन्हें नए नियम लागू होने पर पुनः प्रवेश से वंचित किया जा सकता है।


H-1B वीजा धारकों की संख्या

जून 2025 तक, अमेरिका में Amazon H-1B वीजा धारकों की सूची में शीर्ष पर था, जिसमें 10,044 कर्मचारी शामिल थे। इसके बाद Tata Consultancy Services (TCS) का स्थान था, जिसमें 5,505 H-1B कर्मचारी थे। अन्य कंपनियों में Microsoft, Meta, Apple, Google, Deloitte, Infosys, Wipro और Tech Mahindra Americas शामिल हैं।


H-1B वीजा कार्यक्रम का महत्व

H-1B वीजा कार्यक्रम, जो अमेरिकी कंपनियों को कुशल विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, लंबे समय से राजनीतिक बहस का विषय रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कार्यक्रम के नियमों को कड़ा करने की बार-बार इच्छा व्यक्त की है, इसे अमेरिकी श्रमिकों के लिए सुरक्षा उपाय के रूप में प्रस्तुत किया है।


एलोन मस्क का समर्थन


टेस्ला पर आरोप

12 सितंबर 2025 को, टेस्ला पर एक मुकदमा दायर किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने अमेरिकी श्रमिकों की तुलना में वीजा धारकों को प्राथमिकता दी। इस शिकायत में कहा गया कि टेस्ला ने लगभग 1,355 वीजा धारकों को नियुक्त किया, जबकि 6,000 से अधिक घरेलू कर्मचारियों को निकाल दिया।


ट्रंप का दृष्टिकोण

राष्ट्रपति ट्रंप ने H-1B वीजा कार्यक्रम को प्रणालीगत दुरुपयोग का शिकार बताया, विशेषकर आईटी आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा। उन्होंने इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा' करार दिया और कहा कि यह अमेरिकी कॉलेज स्नातकों के लिए नौकरी पाना कठिन बना रहा है।


विशेषज्ञों की राय

आव्रजन वकील सोफी अल्कॉर्न ने कहा कि नई नीति नौकरी की गतिशीलता को सीमित कर सकती है और H-1B नवीनीकरण को काफी महंगा बना सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि नियोक्ता H-1B कर्मचारियों को प्रायोजित करने या बनाए रखने में हिचकिचा सकते हैं।


भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव

यह कदम भारतीय पेशेवरों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जो 2024 के वित्तीय वर्ष में सभी H-1B वीजा अनुमोदनों का 71% बनाते हैं। इनमें से अधिकांश अनुमोदन कंप्यूटर से संबंधित व्यवसायों के लिए थे, जिनका औसत वेतन $120,000 था।