अमेरिका में H-1B वीज़ा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव
अमेरिका में H-1B वीज़ा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है, जिसमें अब योग्यता और वेतन के आधार पर चयन प्रक्रिया लागू की जाएगी। यह निर्णय भारतीय पेशेवरों पर सीधा प्रभाव डालेगा, जो इस वीज़ा के सबसे बड़े धारक हैं। नए नियम के तहत, उच्च कौशल और उच्च वेतन वाले आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी। यह बदलाव ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी श्रमिकों के हितों की रक्षा करना है। जानें इस नए नियम के बारे में और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
Dec 26, 2025, 00:43 IST
H-1B वीज़ा प्रणाली में नया बदलाव
अमेरिका में काम करने की इच्छा रखने वाले विदेशी पेशेवरों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन सामने आया है। अब तक भाग्य पर निर्भर रहने वाली H-1B वीज़ा लॉटरी प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है, और इसके स्थान पर योग्यता और वेतन के आधार पर चयन प्रक्रिया लागू की जा रही है। इस निर्णय का सीधा प्रभाव भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा, जो अमेरिका में H-1B वीज़ा धारकों का सबसे बड़ा समूह हैं।
मंगलवार, 23 दिसंबर 2025 को अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने आधिकारिक रूप से यह घोषणा की कि H-1B वर्क वीज़ा से संबंधित नियमों में बदलाव किया जा रहा है। नई जानकारी के अनुसार, अब वीज़ा आवंटन में उन आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो अधिक कुशल हैं और जिन्हें उच्च वेतन की पेशकश की जा रही है। सरकार का तर्क है कि इससे अमेरिकी श्रमिकों की मजदूरी, कार्य की परिस्थितियों और रोजगार के अवसरों की सुरक्षा में सुधार होगा।
यह नया नियम 27 फरवरी 2026 से प्रभावी होगा और वित्तीय वर्ष 2027 की H-1B कैप रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में लागू किया जाएगा। इसके तहत अब रैंडम लॉटरी के बजाय एक 'वेटेड सिलेक्शन सिस्टम' होगा, जिसमें उच्च वेतन और उच्च कौशल वाले आवेदकों के चयन की संभावना अधिक होगी।
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के प्रवक्ता मैथ्यू ट्रैगेसर ने बताया कि पुरानी लॉटरी प्रणाली का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा था। उनके अनुसार, कई अमेरिकी कंपनियां जानबूझकर कम वेतन पर विदेशी श्रमिकों को लाने के लिए आवेदन करती थीं, जिससे अमेरिकी कार्यबल को नुकसान होता था। नए नियम से कांग्रेस की मंशा के अनुसार H-1B प्रोग्राम को बेहतर बनाया जा सकेगा और उच्च प्रतिभाओं को आकर्षित किया जा सकेगा।
यह परिवर्तन ट्रंप प्रशासन की व्यापक इमिग्रेशन नीति का हिस्सा माना जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में H-1B वीज़ा से संबंधित कई सख्त कदम उठाए गए हैं। हाल ही में नई H-1B आवेदनों पर 1 लाख डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की गई है, जिससे नियोक्ताओं पर अधिक जिम्मेदारी डाली जा सके।
इसके साथ ही, 15 दिसंबर से स्टेट डिपार्टमेंट ने H-1B और उससे जुड़े H-4 वीज़ा आवेदकों की कड़ी जांच शुरू कर दी है। अब सोशल मीडिया प्रोफाइल और डिजिटल गतिविधियों की भी समीक्षा की जा रही है। इसके कारण भारत में कई वीज़ा इंटरव्यू टाल दिए गए हैं और वीज़ा स्टैम्पिंग के लिए भारत आए कई पेशेवरों को महीनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि वीज़ा कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार है और राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़े हर पहलू की जांच की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, सरकार भविष्य में भी H-1B प्रोग्राम में ऐसे बदलाव करती रहेगी, ताकि अमेरिकी कर्मचारियों के हितों से समझौता न हो और साथ ही आवश्यकतानुसार विदेशी प्रतिभा भी लाई जा सके।