अमेरिका का नया कानून भारतीय आईटी उद्योग के लिए चिंता का विषय
नया कानून और भारतीय आईटी उद्योग
हाल ही में अमेरिका में प्रस्तावित एक नए कानून ने 250 अरब डॉलर के भारतीय आईटी उद्योग को गहरी चिंता में डाल दिया है। ओहायो के रिपब्लिकन सीनेटर बर्नी मोरेनो ने इस महीने की शुरुआत में 'हॉल्टिंग इंटरनेशनल रिलोकेशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट (HIRE)' अधिनियम को अमेरिकी सीनेट में पेश किया। इसका उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को घरेलू स्तर पर रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करना और विदेशों में कर्मचारियों पर निर्भरता को कम करना है।
भारत, जो वर्षों से वैश्विक आईटी आउटसोर्सिंग का एक प्रमुख केंद्र रहा है, इस प्रस्तावित कानून से विशेष रूप से प्रभावित हो सकता है। भारतीय आईटी कंपनियां अपने अधिकांश राजस्व के लिए अमेरिकी ग्राहकों पर निर्भर हैं, जिससे यह विधेयक उनके लिए चिंता का विषय बन गया है। यह पहल उस समय आई है जब अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों के कारण तनाव में हैं।
HIRE अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ
HIRE अधिनियम में कार्यों को विदेशों में स्थानांतरित करने से रोकने के लिए तीन मुख्य उपाय शामिल हैं:
25% आउटसोर्सिंग कर: अमेरिकी कंपनियों या करदाताओं द्वारा विदेशी संस्थाओं को किए गए भुगतान, जो अंततः अमेरिकी उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाते हैं, पर 25 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव है।
कर कटौती पर प्रतिबंध: कंपनियों को आउटसोर्सिंग से संबंधित लागतों को कर योग्य आय से घटाने की अनुमति नहीं होगी, जिससे विदेशों में काम करने की लागत बढ़ जाएगी।
घरेलू कार्यबल कोष: इस कर से उत्पन्न होने वाले किसी भी राजस्व को एक नए घरेलू कार्यबल कोष में डाला जाएगा।
भारतीय कंपनियों पर संभावित प्रभाव
भारत ने पिछले 30 वर्षों में आईटी आउटसोर्सिंग क्षेत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, विप्रो, HCL टेक और टेक महिंद्रा जैसी प्रमुख आईटी कंपनियाँ उत्तरी अमेरिका से 50 से 65 प्रतिशत तक अपने कुल राजस्व का सृजन करती हैं।
ये कंपनियाँ सॉफ़्टवेयर विकास, सिस्टम एकीकरण, क्लाउड सेवाएँ और व्यवसाय प्रक्रिया आउटसोर्सिंग (BPO) जैसी सेवाएँ प्रदान करती हैं। इनके ग्राहकों में सिटीग्रुप, JP मॉर्गन चेस, बैंक ऑफ अमेरिका, फाइजर, माइक्रोसॉफ्ट और सेंट गोबेन जैसे कई प्रमुख फॉर्च्यून 500 नाम शामिल हैं। यदि HIRE अधिनियम लागू होता है, तो इन कंपनियों की आय पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है और अमेरिका से आईटी सेवा राजस्व में गिरावट की संभावना है।