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अमित शाह ने राजस्थान में नए आपराधिक कानूनों का उद्घाटन किया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान में नए आपराधिक कानूनों का उद्घाटन किया, जो न्याय प्रणाली में सुधार लाने का वादा करते हैं। उन्होंने कहा कि ये कानून समय पर और सुलभ न्याय सुनिश्चित करेंगे, जिससे न्याय में देरी की समस्या का समाधान होगा। शाह ने राजस्थान के लोगों को आश्वस्त किया कि नए कानूनों के लागू होने से दोषसिद्धि दर में वृद्धि होगी। जानें इन कानूनों के प्रभाव और न्याय प्रक्रिया में होने वाले बदलावों के बारे में।
 

नए आपराधिक कानूनों का उद्घाटन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राजस्थान में नए आपराधिक कानूनों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ये कानून समय पर, सुलभ और सरल न्याय सुनिश्चित करेंगे, जिससे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली दंड के बजाय न्याय पर केंद्रित होगी। जयपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, शाह ने न्याय में देरी की समस्या पर चिंता व्यक्त की और कहा कि नया आपराधिक कानून इस स्थिति में सुधार लाएगा।


न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

अमित शाह ने बताया कि भारत की न्यायिक प्रणाली समय पर न्याय न देने के लिए जानी जाती है। उन्होंने राजस्थान के लोगों को आश्वस्त किया कि तीन नए आपराधिक न्याय कानून न्याय की प्रक्रिया को सरल बनाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने जीवन को आसान बनाने के लिए कई सुधार किए हैं, और इन कानूनों के लागू होने से न्याय की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन आएगा। गृह मंत्रालय सभी राज्यों को सहायता और मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है।


न्याय प्रक्रिया का नया ढांचा

भाजपा के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, शाह ने कहा कि 2027 के बाद दर्ज की गई किसी भी प्राथमिकी पर तीन साल के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 160 साल पुराने कानूनों को समाप्त करने वाले तीन नए कानूनों के तहत, 2027 के बाद भी देशभर में एफआईआर दर्ज की जा सकेगी। पूरी प्रक्रिया लागू होने में अभी दो साल और लगेंगे।


दोषसिद्धि दर में वृद्धि

अमित शाह ने यह भी बताया कि इन कानूनों के लागू होने के एक साल के भीतर राजस्थान में दोषसिद्धि दर में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पहले यह दर केवल 42% थी, लेकिन अब यह बढ़कर 60% हो गई है। जब ये कानून पूरी तरह से लागू हो जाएंगे, तो यह दर 90% तक पहुँचने की उम्मीद है। इन कानूनों में सभी प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों का समावेश किया गया है।