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अमित शाह ने भारतीय भाषाओं के महत्व पर जोर दिया, अंग्रेजी बोलने वालों को दी चेतावनी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भारतीय भाषाओं के महत्व पर जोर दिया और कहा कि अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्मिंदगी महसूस होगी। उन्होंने भक्ति साहित्य की भूमिका को भी रेखांकित किया, जो देश की संस्कृति और स्वतंत्रता को बनाए रखने में सहायक रहा है। शाह ने भारत की भाषाई धरोहर को पुनः प्राप्त करने के लिए नए प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया और भविष्य में अंग्रेजी को औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक मानने की बात कही।
 

केंद्रीय गृह मंत्री का भाषाई विवाद पर बयान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भाषाई विवाद के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्मिंदगी महसूस होगी। शाह ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय भाषाएं देश की पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं और इन्हें विदेशी भाषाओं की तुलना में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उनका मानना है कि बिना अपनी भाषाओं के, हम सच्चे भारतीय नहीं रह सकते।


भक्ति साहित्य का महत्व

अमित शाह ने 'मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं' पुस्तक के विमोचन के दौरान कहा कि जब देश अंधकार में था, तब भक्ति साहित्य ने हमारे धर्म, स्वतंत्रता और संस्कृति की ज्योति को जलाए रखा। उन्होंने साहित्य को समाज की आत्मा बताया और कहा कि आज हम देश में बदलाव देख रहे हैं। उनका विश्वास है कि 2047 तक यह यात्रा हमारे खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त करने में सहायक होगी।


भाषाई विरासत की पुनः प्राप्ति

शाह ने भारत की भाषाई धरोहर को पुनः प्राप्त करने के लिए देशभर में नए प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में अंग्रेजी को औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक माना जाएगा। उनके अनुसार, हमारी संस्कृति, इतिहास और धर्म को समझने के लिए कोई भी विदेशी भाषा पर्याप्त नहीं है।