अमित शाह ने INDIA ब्लॉक के उप राष्ट्रपति उम्मीदवार पर साधा निशाना
अमित शाह का तीखा हमला
गृह मंत्री अमित शाह ने INDIA ब्लॉक के उप राष्ट्रपति उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी पर कड़ा हमला किया। उन्होंने रेड्डी के चयन के पीछे के वैचारिक आधार पर सवाल उठाए, साथ ही उनके न्यायाधीश के रूप में किए गए निर्णयों का भी उल्लेख किया। शाह ने आरोप लगाया कि रेड्डी ने सलवा जुडूम आंदोलन को अस्वीकार किया और आदिवासियों के आत्म-रक्षा के अधिकार को समाप्त कर दिया, जिससे उनके अनुसार, नक्सलवाद भारत में दो दशकों से अधिक समय तक बना रहा।
शाह का बयान
शाह ने एक साक्षात्कार में कहा, "उन्होंने सलवा जुडूम को अस्वीकार किया और आदिवासियों के आत्म-रक्षा के अधिकार को समाप्त कर दिया। इसके कारण, नक्सलवाद इस देश में दो दशकों से अधिक समय तक बना रहा... मेरा मानना है कि वामपंथी विचारधारा ही चयन का मानदंड रही होगी।"
रेड्डी का जवाब
इस बीच, एक साक्षात्कार में, सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और INDIA ब्लॉक के उप राष्ट्रपति उम्मीदवार रेड्डी ने कहा कि वह सलवा जुडूम के निर्णय और शाह के बयान के विवाद में शामिल नहीं होना चाहते। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सार्वजनिक बहस के लिए नहीं होता है। रेड्डी ने कहा, "इसकी योग्यता चाहे जो भी हो, एक निर्णय की समीक्षा और उस पर टिप्पणी करने के लिए स्वीकार्य मानक होते हैं।"
सलवा जुडूम का इतिहास
सलवा जुडूम, जिसका अर्थ है 'शांति मार्च' गोंडी भाषा में, छत्तीसगढ़ में नक्सल गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए स्थानीय आदिवासी युवाओं को संगठित करने वाला एक आंदोलन था। यह 2005 में शुरू हुआ और जल्द ही एक राज्य-समर्थित मिलिशिया में बदल गया, जिसका मुख्य उद्देश्य माओवादी विद्रोहियों से लड़ना था। इसे 2011 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध और असंवैधानिक घोषित किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
5 जुलाई 2011 को, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम को अवैध और असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे भंग करने का आदेश दिया। अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार को समूह से सभी हथियार, गोला-बारूद और उपकरण वापस लेने का निर्देश दिया। सलवा जुडूम के उपयोग पर मानवाधिकार उल्लंघनों के कारण कड़ी आलोचना की गई थी।
न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी की भूमिका
न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी उस सुप्रीम कोर्ट की पीठ का हिस्सा थे जिसने सलवा जुडूम को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया।