अमित शाह का मलयालम में जवाब: केरल में हिंदी विवाद पर नई रणनीति
गृह मंत्री का मलयालम में जवाब
गृहमंत्री अमित शाह
हाल के दिनों में हिंदी भाषा को लेकर देश में विवाद बढ़ता जा रहा है। कई राज्यों और केंद्र सरकार के बीच इस मुद्दे पर मतभेद स्पष्ट हैं। कर्नाटक ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार उन पर हिंदी थोपने का प्रयास कर रही है। इस संदर्भ में गृह मंत्री अमित शाह का एक बयान चर्चा का विषय बन गया है, जिसमें उन्होंने सांसद जॉन ब्रिटास को हिंदी के बजाय मलयालम में उत्तर दिया।
हिंदी विवाद पर समय-समय पर बयान आते रहते हैं, और इस बार अमित शाह का यह कदम चर्चा में है। उन्होंने केरल के सांसद को मलयालम में जवाब देकर एक सकारात्मक संकेत दिया है, जो हिंदी थोपने के विवाद के बीच सराहा जा रहा है।
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम बीजेपी की केरल में अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है, खासकर जब अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यह भाषाई संघवाद और क्षेत्रीय पहचान को बढ़ावा देने का प्रयास है, जो दक्षिण भारत में बीजेपी की स्वीकार्यता के लिए महत्वपूर्ण है।
सांसद की ट्रांसलेशन उपकरण की मांग
ब्रिटास ने संसद में भाषाई समानता पर चर्चा करते हुए ट्रांसलेशन उपकरण की मांग की है, ताकि सांसदों को हिंदी भाषणों में कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि सच्ची विधायी भागीदारी के लिए समान भाषाई पहुंच आवश्यक है।
ब्रिटास के पत्र का संदर्भ
14 नवंबर को अमित शाह ने ब्रिटास के 22 अक्टूबर को भेजे गए पत्र का औपचारिक उत्तर दिया, जिसमें प्रवासी भारतीय नागरिकों के पंजीकरण रद्द करने के आधार पर आरोप पत्र दाखिल करने का मुद्दा उठाया गया था। ब्रिटास ने कहा कि यह प्रक्रिया उचित नहीं है और ओसीआई कार्डधारकों को मनमानी कार्रवाई का शिकार बना सकती है।
केरल में चुनावी तैयारी
केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में केवल एक सीट जीती थी। इसलिए, पार्टी अब पूरे राज्य में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना बना रही है। इस संदर्भ में शाह का पत्र राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।