अमरनाथ मंदिर: शिवलिंग की अद्भुत उत्पत्ति की कहानी
अमरनाथ मंदिर का महत्व
अमरनाथ मंदिर, जो जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित है, भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
यहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाने के लिए एकांत स्थान चुना, जहां उन्होंने पंचतत्वों का त्याग करते हुए 'अमरकथा' सुनाई।
पौराणिक कथा का सार
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा में भगवान शिव द्वारा सुनाई गई कथा के दौरान दो कबूतरों का जोड़ा भी मौजूद था, जिसके कारण वे अमर हो गए।
नीलमत पुराण और राजतरंगिणी जैसे ग्रंथों में अमरनाथ गुफा का उल्लेख मिलता है। लोककथा के अनुसार, 13वीं सदी में एक मुस्लिम गड़ेरिया बुटा मलिक को एक साधु द्वारा यह स्थान बताया गया।
स्वयंभू हिम शिवलिंग
जब बुटा मलिक ने वहां पहुंचकर देखा, तो उसे गुफा में बर्फ से बना शिवलिंग मिला। यहां हर वर्ष बर्फ से स्वयं प्रकट होने वाला शिवलिंग बनता है, जिसे 'स्वयंभू हिम शिवलिंग' कहा जाता है।
यह शिवलिंग गुफा की छत से टपकती बर्फ की बूंदों से बनता है और हर वर्ष श्रावण मास (जुलाई–अगस्त) में पूर्ण आकार लेता है।
अमरत्व का रहस्य
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि 'आप अमर क्यों हैं?', तो भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का रहस्य बताने के लिए एक एकांत स्थान की खोज की।
उन्होंने कैलाश पर्वत से निकलकर हिमालय की एक गुफा में प्रवेश किया, जो आज अमरनाथ गुफा के नाम से जानी जाती है। यहां उन्होंने पार्वती को 'अमरकथा' सुनाई।
कथा का गूढ़ रहस्य
कथा के अनुसार, जब माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि उन्होंने मुंड माला क्यों पहनी है, तो भगवान शिव ने उत्तर दिया कि यह माला उनके पुनर्जन्म की संख्या को दर्शाती है।
भगवान शिव ने अमरत्व का रहस्य बताने के लिए अमरनाथ गुफा को चुना, जहां उन्होंने माता पार्वती को यह रहस्य सुनाना शुरू किया। लेकिन कहा जाता है कि वह पूरा रहस्य सुनने से पहले ही सो गईं।
कबूतरों की अमरता
कथा के श्रवण के दौरान गुफा में मौजूद दो कबूतरों का जोड़ा भी अमर हो गया। आज भी श्रद्धालुओं को गुफा के पास उड़ते कबूतर दिखाई देते हैं।