अभिषेक बनर्जी ने चुनाव आयोग से उठाए सवाल, बंगाल में पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर उठे विवाद
चुनाव आयोग से अभिषेक बनर्जी की मुलाकात
तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात की, जिसमें उन्होंने पांच महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए। इस बैठक में उनके साथ नौ अन्य सांसद भी शामिल थे।
बैठक के बाद अभिषेक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आयोग ने उनके द्वारा पूछे गए सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर नहीं दिए।
बंगाल में सूक्ष्म पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर सवाल
अभिषेक ने सवाल उठाया कि बंगाल में सूक्ष्म पर्यवेक्षकों की नियुक्ति क्यों की गई, जबकि एसआईआर ने वहां से सबसे कम नामों को बाहर रखा है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि तमिलनाडु में संशोधन दर 12.57 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 8.76 प्रतिशत, गुजरात में 9.95 प्रतिशत और केरल में 6.65 प्रतिशत है, जबकि बंगाल में यह दर केवल 5 प्रतिशत है।
उन्होंने यह भी पूछा कि अन्य राज्यों में सूक्ष्म पर्यवेक्षकों की नियुक्ति क्यों नहीं की गई।
आयोग की जवाबदेही पर सवाल
अभिषेक ने कहा कि केवल बंगाल में ही सूक्ष्म पर्यवेक्षकों और जिला पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है, जबकि आयोग का कहना है कि उनके पास अधिकारी नहीं हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि कई एयरो मशीनें बेकार पड़ी हैं, जिन्हें किराए पर लिया जा सकता था, लेकिन आयोग ने इस पर भी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।
मुख्य चुनाव आयुक्त पर अभिषेक का आरोप
अभिषेक ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त को यह नहीं पता कि बंगाल में एसआईआर का काम कैसे चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग का व्यवहार ऐसा है मानो उन्हें ऊपर से आदेश मिल रहे हों।
बैठक के दौरान, अभिषेक ने आरोप लगाया कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने उनसे उंगली उठाकर बात करने की कोशिश की, जिस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वे निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और किसी के दास नहीं हैं।
रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुद्दों पर सवाल
अभिषेक ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुद्दों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मांग की कि उन 58 लाख लोगों की सूची सार्वजनिक की जाए जिनके नाम सूची से हटा दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इन सूक्ष्म पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर सवाल उठाए, यह कहते हुए कि ये पर्यवेक्षक अन्य राज्यों से हैं और उन्हें स्थानीय जानकारी नहीं है। हालांकि, आयोग ने इस आरोप को खारिज कर दिया।