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अभिनव वर्मा की माँ की चिकित्सा त्रासदी: अस्पताल में हुई अनहोनी

अभिनव वर्मा की माँ की चिकित्सा त्रासदी ने अस्पतालों में लापरवाही की गंभीरता को उजागर किया है। एक साधारण पेट दर्द के चलते, उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टरों की गलतियों ने उनकी स्थिति को और बिगाड़ दिया। अंततः, 50 दिनों के ICU में रहने के बाद, उनकी माँ ने दुखद रूप से अपनी जान गंवा दी। इस मामले में अस्पताल के बिल और रिपोर्ट्स ने कई सवाल खड़े किए हैं। जानें पूरी कहानी में क्या हुआ और कैसे एक साधारण समस्या ने इतनी बड़ी त्रासदी का रूप ले लिया।
 

चिकित्सा में लापरवाही का मामला

चिकित्सा में लापरवाही का मामला


अभिनव वर्मा की माँ, जिनकी उम्र केवल 50 वर्ष थी, अचानक पेट में दर्द महसूस करने लगीं। पास के एक प्राइवेट अस्पताल में जाकर डॉ. कनिराज ने उनकी जांच की और अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। अल्ट्रासाउंड के बाद, डॉ. कनिराज ने बताया कि गाल ब्लैडर में पथरी है और एक छोटा ऑपरेशन आवश्यक है।



अभिनव ने अपनी माँ को घर ले जाकर दर्द को कम करने के लिए पेन-किलर का इस्तेमाल किया।


कुछ दिनों बाद, डॉ. कनिराज ने फोन करके बताया कि गाल ब्लैडर में पथरी रहना खतरनाक है, इसलिए ऑपरेशन तुरंत कराना जरूरी है। जब अभिनव अपनी माँ को अस्पताल लेकर पहुंचे, तो डॉ. मोहम्मद शब्बीर अहमद ने उनकी देखभाल की। उन्होंने एहतियात के तौर पर ERCP कराने की सलाह दी।


डॉ. अहमद को पैंक्रियास कैंसर का 0.05% संदेह था। अभिनव ने सोचा कि डॉक्टर हमेशा सही होते हैं, इसलिए बायोप्सी और एंडोस्कोपी कराई गई।


हालांकि रिपोर्ट नेगेटिव आई, लेकिन बायोप्सी और एंडोस्कोपी के बाद माँ को भयंकर दर्द होने लगा। गाल ब्लैडर के ऑपरेशन को छोड़कर, उन्हें पेट दर्द और आंतरिक रक्तस्राव के संदेह में ICU में भर्ती किया गया।


जब अभिनव की माँ अस्पताल में भर्ती हुई थीं, तब उनके लिवर, हार्ट, किडनी और सभी रक्त रिपोर्ट सामान्य थीं। लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि अब लिवर प्रभावित हो गया है और किडनी के लिए डायलिसिस की आवश्यकता होगी।


एक दिन डॉक्टर ने कहा कि बीपी बहुत 'लो' जा रहा है, इसलिए पेस मेकर लगाना पड़ेगा। पेस मेकर लगाने के बाद भी स्थिति बिगड़ती गई। पेट का दर्द बढ़ता गया और माँ की हालत गंभीर होती गई। अब तक वह ICU में एक महीने से अधिक समय से थीं।


एक दिन डॉक्टर ने कहा कि शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई में गड़बड़ी हो गई है, इसलिए ऑपरेशन करना होगा। ऑपरेशन टेबल पर लिटाने के बाद, डॉक्टर ने तुरंत लाखों की रकम जमा कराने को कहा।


अभिनव ने दौड़कर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मदद मांगी और उसी दिन पैसे इकट्ठा कर अस्पताल में जमा कराए। लेकिन पैसे जमा होने के बाद भी डॉक्टर ने ऑपरेशन कैंसिल कर दिया।


अभिनव को बताया गया कि संक्रमण क्यों बढ़ रहा है, लेकिन डॉक्टरों ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। केवल दवाइयाँ, ड्रिप और माँ की बेहोशी। अभिनव मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुके थे।


अभिनव की माँ बेहोशी में कराहती रहीं। वह सोचते थे कि उनकी माँ को कभी कोई गंभीर समस्या नहीं थी।


50 दिन ICU में रहने के बाद, माँ ने दर्द में कराहते हुए अंतिम सांस ली।


अस्पताल का बिल 43 लाख, दवाइयों का बिल 12 लाख और 50 यूनिट खून का खर्च। अभिनव की माँ का शव शवगृह में रखा गया और अभिनव से शेष भुगतान की मांग की गई।


अभिनव ने एक शर्त रखी कि उनकी माँ की सभी रिपोर्ट्स और शरीर की जांच एक स्वतंत्र डॉक्टरों की टीम द्वारा कराई जाए। अस्पताल ने मुश्किल से अनुमति दी।


रिपोर्ट आई - अभिनव वर्मा की माँ के गाल ब्लैडर में कभी कोई पथरी नहीं थी।