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अफगान विदेश मंत्री का देवबंद दौरा: ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र में भव्य स्वागत

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने इस ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र की सराहना की और इसे अपने दिल के करीब बताया। यह दौरा तालिबान के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनकी धार्मिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है। जानें इस दौरे के पीछे की कहानी और इसके महत्व के बारे में।
 

देवबंद में अफगान विदेश मंत्री का आगमन

देवबंद (सहारनपुर): अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने शनिवार को इस्लामी शिक्षा के प्रसिद्ध केंद्र दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया। उनका स्वागत इतना शानदार था कि वह अभिभूत हो गए। उन्होंने कहा कि यह उनकी पुरानी ख्वाहिश थी कि वह इस प्रतिष्ठित संस्थान को देखें, और आज उनका सपना पूरा हुआ।

दिल को छू लेने वाला स्वागत

शनिवार सुबह 11:35 बजे जब अमीर खान मुत्ताकी दारुल उलूम के परिसर में पहुंचे, तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और कई वरिष्ठ उलमा ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच, मुत्ताकी सबसे पहले दौरा-ए-हदीस (अरबी फाइनल इयर) की कक्षा में गए। वहां उन्होंने छात्रों के साथ बैठकर मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी से हदीस का पाठ पढ़ा। इस दौरान उनकी सादगी और उत्साह देखने लायक था।

छात्रों में उत्साह की लहर

मुत्ताकी को देखने के लिए दारुल उलूम के छात्रों में जबरदस्त उत्साह था। उनकी एक झलक पाने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी। सहारनपुर के एसएसपी आशीष तिवारी और डीएम मनीष बंसल ने सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी खुद संभाली, ताकि कोई परेशानी न हो।

‘दारुल उलूम मेरे दिल के करीब है’

अमीर खान मुत्ताकी ने अपने स्वागत के लिए दारुल उलूम प्रबंधन और छात्रों का दिल से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मेरे दिल में हमेशा से इस ऐतिहासिक केंद्र को देखने की इच्छा थी। आज वह ख्वाहिश पूरी हो गई। यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।” उन्होंने संस्था की सराहना करते हुए कहा कि दारुल उलूम इस्लामी शिक्षा का एक अनमोल रत्न है।

तालिबान और देवबंद का संबंध

यह ध्यान देने योग्य है कि तालिबान नेतृत्व दारुल उलूम देवबंद को अपनी धार्मिक परंपराओं का स्रोत मानता है। मुत्ताकी का यह दौरा तालिबान की वैचारिक जड़ों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। साल 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता हासिल करने के बाद यह पहला अवसर है, जब कोई वरिष्ठ तालिबानी नेता दारुल उलूम पहुंचा है। इस दौरे को लेकर इलाके में चर्चा का माहौल गर्म है।