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अनुराग ठाकुर का विवादास्पद बयान: हनुमान को पहले अंतरिक्ष यात्री बताया

भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने एक कार्यक्रम में भगवान हनुमान को 'पहला अंतरिक्ष यात्री' बताया, जिससे सोशल मीडिया पर विवाद उत्पन्न हो गया। उनके इस बयान पर कई लोगों ने आलोचना की है, जिसमें द्रमुक सांसद कनिमोई भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान को पौराणिक कथाओं से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। ठाकुर के इस बयान पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं, जिसमें कुछ ने उनकी आलोचना की है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और सोशल मीडिया पर आई प्रतिक्रियाएं।
 

अनुराग ठाकुर का बयान

भाजपा के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने हाल ही में एक कार्यक्रम में यह कहकर सबको चौंका दिया कि भगवान हनुमान को "अंतरिक्ष में जाने वाला पहला व्यक्ति" माना जा सकता है। यह बयान उन्होंने 23 अगस्त को हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में दिया। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।


ठाकुर ने छात्रों से देश की प्राचीन परंपराओं और संस्कृति को महत्व देने की अपील की। यह टिप्पणी उन्होंने ऊना जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय पेखुबेला में आयोजित राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस कार्यक्रम के दौरान की।


वीडियो में, ठाकुर छात्रों से पूछते हैं, ‘‘अंतरिक्ष में यात्रा करने वाला पहला व्यक्ति कौन था?’’ कुछ छात्रों ने उत्तर दिया- ‘‘नील आर्मस्ट्रांग’’। इस पर ठाकुर ने कहा, ‘‘मुझे तो लगता है हनुमान जी थे।’’



यह ध्यान देने योग्य है कि सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन 12 अप्रैल 1961 को अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने वोस्तोक-1 यान से 301 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुँचकर 90 मिनट तक पृथ्वी की परिक्रमा की थी।


सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं। द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की सांसद कनिमोई ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह चिंताजनक है।


उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘विज्ञान कोई पौराणिक कथा नहीं है। कक्षाओं में युवाओं को गुमराह करना ज्ञान और तर्क का अपमान है।’’


सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अनुराग ठाकुर की इस टिप्पणी की आलोचना की। एक यूज़र ने कहा, "बच्चों को सही करने के बजाय, आपने उन्हें बताया कि हनुमान पहले अंतरिक्ष यात्री थे। यह यूरी गागरिन थे।"


एक अन्य यूज़र ने टिप्पणी की, "सभी बच्चे गलत जवाब दे रहे थे। अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति यूरी गागरिन थे, नील आर्मस्ट्रांग नहीं। आस्था और विज्ञान अलग-अलग विषय हैं।"


तीसरी टिप्पणी में लिखा गया, "विज्ञान कोई पौराणिक कथा नहीं है। युवा मन को गुमराह करना ज्ञान और तर्क का अपमान है। भारत का भविष्य जिज्ञासा को पोषित करने में है।"