अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ीं, ED ने फिर भेजा समन
अनिल अंबानी को ED का समन
ईडी ने अनिल अंबानी को फिर से समन भेजा है
अनिल अंबानी पर ED की कार्रवाई: रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें 14 नवंबर को पूछताछ के लिए एक बार फिर समन भेजा है। यह समन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से जुड़े एक बड़े बैंक लोन धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जारी किया गया है। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि ED पहले ही ग्रुप की करोड़ों की संपत्ति को जब्त कर चुकी है और अब सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने भी एक अलग जांच के आदेश दिए हैं।
7500 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त
इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कथित लोन फ्रॉड मामले में ED ने अब तक 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अटैच किया है। हाल ही में 3 नवंबर को, ED ने नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) के 132 एकड़ से अधिक भूमि को जब्त किया, जिसकी कीमत 4,462.81 करोड़ रुपये आंकी गई है।
इससे पहले, जांच एजेंसी ने RCom (रिलायंस कम्युनिकेशंस), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस होम फाइनेंस से जुड़े मामलों में 3,083 करोड़ रुपये से अधिक की 42 संपत्तियां जब्त की हैं। यह पूरी जांच CBI द्वारा दर्ज की गई FIR के आधार पर हो रही है, जिसमें RCom, अनिल अंबानी और अन्य पर आपराधिक साज़िश (120-B) और धोखाधड़ी (420) के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
जांच में महत्वपूर्ण खुलासे
ED की जांच में यह सामने आया है कि बैंकों से लिए गए कर्ज़ का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया। आरोप है कि 2010 और 2012 के बीच, RCom और उससे जुड़ी कंपनियों ने भारतीय बैंकों से हज़ारों करोड़ रुपये का लोन लिया, जिसमें से 19,694 करोड़ रुपये अभी भी बकाया हैं।
पांच बैंक पहले ही RCom के लोन खातों को ‘धोखाधड़ी’ मान चुके हैं। जांच एजेंसी ने पाया है कि फंड्स का ‘सर्कुलर मूवमेंट’ (पैसे का गोल-गोल घुमाना), कर्ज़ की ‘एवरग्रीनिंग’ (नया लोन लेकर पुराना कर्ज़ चुकाना) और बिल डिस्काउंटिंग का दुरुपयोग किया गया।
जांच के निष्कर्षों के अनुसार
- 13,600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का उपयोग कथित तौर पर पुराने कर्ज़ चुकाने के लिए किया गया।
- 12,600 करोड़ रुपये संबंधित पार्टियों को ट्रांसफर कर दिए गए।
- 1,800 करोड़ रुपये फिक्स्ड डिपॉज़िट या म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए, जिन्हें बाद में निकालकर अन्य जगहों पर इस्तेमाल किया गया।
इसका सीधा मतलब यह है कि एक कंपनी के नाम पर लिया गया लोन, दूसरी कंपनी के कर्ज़ चुकाने में इस्तेमाल हुआ, जो लोन की शर्तों का उल्लंघन है।
SFIO की जांच का आदेश
ED के अलावा, अब कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने भी अनिल अंबानी के ADAG ग्रुप के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। मंत्रालय ने अपनी मुख्य जांच शाखा, ‘सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस’ (SFIO) को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है।
SFIO मुख्य रूप से चार कंपनियों—रिलायंस इंफ्रा (RInfra), रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस (RCFL) और CLE प्रा. लि. की जांच करेगा। यह आदेश बैंकों और ऑडिटरों द्वारा कंपनी के वित्तीय खुलासों में गंभीर गड़बड़ियों की शिकायत के बाद आया है।
एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, चूंकि CBI और ED पहले से ही पैसे के लेन-देन की जांच कर रहे हैं, इसलिए SFIO का ध्यान ‘कॉरपोरेट गवर्नेंस’ यानी कंपनी के संचालन में हुई खामियों पर होगा। SFIO यह भी पता लगाएगा कि क्या इस मामले में बैंकों, ऑडिटरों या रेटिंग एजेंसियों द्वारा कोई जानबूझकर चूक की गई, और क्या पैसे को शेल कंपनियों के माध्यम से इधर-उधर किया गया।