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अनिरुद्धाचार्य जी महाराज: वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक की जीवन यात्रा

अनिरुद्धाचार्य जी महाराज, जो वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक हैं, का जन्म 1989 में मध्य प्रदेश के एक छोटे गाँव में हुआ। उन्होंने केवल कक्षा 5 तक पढ़ाई की और वृंदावन में संत गिर्राज शास्त्री जी से दीक्षा ली। उनकी पत्नी आरती तिवारी, जिन्हें 'गुरु माँ' कहा जाता है, भजन गाती हैं। अनिरुद्धाचार्य जी सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं, जैसे वृद्धाश्रम की स्थापना। उनकी कुल संपत्ति 2025 में लगभग 25 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो उनकी धार्मिक गतिविधियों और लोकप्रियता का परिणाम है।
 

जीवन परिचय


अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 को मध्य प्रदेश के दमोह जिले के रिवझा नामक छोटे गाँव में हुआ। बचपन से ही उनका झुकाव धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों की ओर था। उनका असली नाम अनिरुद्ध राम तिवारी है।


शिक्षा

अनिरुद्धाचार्य जी ने केवल कक्षा 5 तक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वे वृंदावन चले गए, जहाँ उन्होंने संत गिर्राज शास्त्री जी महाराज से दीक्षा लेकर आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने श्री राधा-कृष्ण के मंदिर में सेवा करना शुरू किया और रामचरितमानस तथा श्रीमद्भागवत का अध्ययन किया। वे सनातन धर्म का प्रचार करते हैं और भागवत कथा का प्रवचन कर लोगों को मार्गदर्शन देते हैं।


पत्नी

उनकी पत्नी का नाम आरती तिवारी है, जिन्हें 'गुरु माँ' के नाम से भी जाना जाता है। वह राधा-कृष्ण और रामजी के भजन गाती हैं और अपने भजनों के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करती हैं। उनके भजनों से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।


सामाजिक योगदान

अनिरुद्धाचार्य जी महाराज धार्मिक कार्यों के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय हैं। उन्होंने वृंदावन में वृद्धाश्रम की स्थापना की है और विभिन्न जरूरतमंद वर्गों के लिए सहायता कार्यक्रम चलाते हैं।


आर्थिक स्थिति

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 2025 में अनिरुद्धाचार्य जी महाराज की कुल संपत्ति लगभग 25 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। उनकी आय के स्रोत इस प्रकार हैं:



  • एक दिन की कथा के लिए 1 से 3 लाख रुपये तक की फीस

  • सात दिन की भागवत कथा के लिए 10 से 15 लाख रुपये तक की कमाई

  • धार्मिक उपदेशों, वैश्विक आयोजनों, लाइव दान, और प्रचार गतिविधियों से आय

  • यूट्यूब विज्ञापनों से अनुमानित ₹2 लाख प्रति माह राजस्व

  • प्रायोजन और सोशल मीडिया सहयोग


यह सभी आय उनकी धार्मिक गतिविधियों और लोकप्रियता का परिणाम हैं।