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अनंत चतुर्दशी: गणेश विसर्जन के बाद पीछे मुड़कर न देखने का महत्व

अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गणेश विसर्जन का महत्व और इसके बाद पीछे मुड़कर न देखने की धार्मिक मान्यता पर चर्चा की गई है। यह माना जाता है कि पीछे मुड़कर देखना असमर्थता का प्रतीक है और इससे ध्यान की शक्ति कमजोर होती है। विसर्जन के बाद आगे बढ़ने का संकल्प लेना और बप्पा की कृपा पर विश्वास रखना आवश्यक है। जानें इस पर और क्या कहा गया है।
 

अनंत चतुर्दशी का पर्व


आज, 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा, और इस दिन गणपति का विसर्जन भी किया जाता है। जिस धूमधाम से बप्पा को घर या पंडाल में लाया जाता है, उसी उत्साह के साथ बप्पा को विदाई दी जाती है। कुछ लोग उन्हें डेढ़ दिन बाद, जबकि कुछ तीसरे, पांचवे या सातवें दिन विसर्जित करते हैं। लेकिन अधिकतर लोग अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदाई देते हैं। बप्पा को विदाई देने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। यदि आप इस पर अनजान हैं, तो आज हम आपको बताते हैं कि विसर्जन के बाद पीछे मुड़कर देखना क्यों मना है…


विघ्नहर्ता हर बाधा को दूर करते हैं

हिंदू धर्म में गणेशजी को पहले पूजनीय माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेशजी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गणेशजी की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियाँ दूर होती हैं और सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। गणेश की पूजा से कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है और कई प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है। गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा को धूमधाम से घर या पंडाल में लाया जाता है और 10 दिनों तक विधिपूर्वक पूजा की जाती है, फिर चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदाई दी जाती है। विसर्जन के दौरान बप्पा के भक्त अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं और उनके जल्दी लौटने की कामना करते हैं।


विसर्जन के बाद पीछे मुड़कर न देखें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विसर्जन के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। इसका अर्थ है कि हमें अपने जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए और पहले पूजनीय विघ्नहर्ता पर विश्वास रखना चाहिए कि वह हमेशा हमारे साथ हैं। इस तरह, न केवल आप गणेशजी का सम्मान करेंगे, बल्कि भक्ति और भगवान की कृपा का भी पूरा आनंद लेंगे। जब हम पीछे मुड़ते हैं, तो यह संकेत है कि हम बप्पा से बिछड़ने का दुख अपने दिल में रखे हुए हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा और उपवास का फल तब ही पूरा होता है जब हम आसक्ति छोड़ दें और अगले वर्ष विश्वास और आशा के साथ स्वागत करने का संकल्प लें।


पीछे मुड़ना असमर्थता का प्रतीक है

बप्पा का विसर्जन यह दर्शाता है कि बप्पा अब जल में विलीन हो जाएंगे और फिर से हमारे जीवन में खुशी और समृद्धि के रूप में लौटेंगे। पीछे मुड़ना असमर्थता का प्रतीक माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति विसर्जन के बाद बार-बार पीछे मुड़ता है, तो उनकी ध्यान की शक्ति कमजोर हो जाती है। इसलिए कहा जाता है कि आपको आगे बढ़ना चाहिए और अपने जीवन में नई सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करना चाहिए। विसर्जन केवल मूर्ति को जल में डालना नहीं है, बल्कि अहंकार, पाप और दुखों का विसर्जन भी है। पीछे मुड़ना पुराने दुखों को फिर से पकड़ने के समान है; इसलिए विसर्जन के बाद पीछे मुड़ना मना है।


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