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अधिकमास 2026: जानें इस विशेष महीने का धार्मिक महत्व

अधिकमास 2026 एक विशेष धार्मिक महीना है, जिसे 'पुरुषोत्तम मास' कहा जाता है। यह हर तीन साल में आता है और इसका महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। इस लेख में हम जानेंगे कि अधिकमास का आगमन क्यों होता है, इसके धार्मिक लाभ क्या हैं, और इस महीने में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही, हम 2026 में अधिकमास की तिथियों पर भी चर्चा करेंगे।
 

अधिकमास का धार्मिक महत्व

अधिकमास 2026Image Credit source: AI


अधिकमास का धार्मिक महत्व: हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2026 एक विशेष वर्ष होगा। इस वर्ष में एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाएगा, जिसे अधिकमास या 'पुरुषोत्तम मास' कहा जाता है। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि यह महीना हर तीन साल में क्यों आता है और इसे 'मलमास' के बजाय 'पुरुषोत्तम मास' क्यों कहा जाता है? आइए जानते हैं।


अधिकमास का आगमन

हिंदू पंचांग सूर्य और चंद्रमा की गणना पर आधारित है।


चंद्र वर्ष: 354 दिनों का होता है।


सौर वर्ष: 365 दिन और लगभग 6 घंटे का होता है।


इन दोनों के बीच हर साल लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। तीन साल में यह अंतर लगभग एक महीने (33 दिन) का हो जाता है। इसी अंतर को संतुलित करने के लिए हर तीसरे साल पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है, जिसे अधिकमास कहते हैं। मान्यता है कि इस दौरान तीर्थ यात्रा और पवित्र नदियों में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।


पुराणों की कथा: मलमास से पुरुषोत्तम मास का सफर

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अधिकमास को पहले 'मलमास' कहा जाता था और इसे शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता था। इस कारण इस महीने के अधिपति बनने के लिए कोई देवता तैयार नहीं थे। भगवान विष्णु ने इसे अपना नाम 'पुरुषोत्तम' दिया और वरदान दिया कि जो भी इस महीने में उनकी भक्ति करेगा, उसे अन्य महीनों की तुलना में कई गुना अधिक पुण्य प्राप्त होगा। तब से इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा।


अधिकमास का धार्मिक महत्व और लाभ

पुण्य की प्राप्ति: अधिकमास में एक दिन का पूजन सामान्य दिनों के 100 दिनों के बराबर फल देता है।


दोषों की निवृत्ति: इस दौरान व्रत और आत्म-चिंतन करने से कुंडली के दोष और मानसिक तनाव कम होते हैं।


विष्णु कृपा: चूंकि यह भगवान विष्णु का महीना है, इसलिए 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप मोक्ष प्रदायक माना जाता है।


इस महीने में क्या करें और क्या न करें?

दान-पुण्य: दीप दान, वस्त्र दान और अन्न दान का विशेष महत्व है। मांगलिक कार्य: विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत और गृह प्रवेश वर्जित होते हैं।


मंत्र जाप: विष्णु सहस्रनाम और श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण। नया व्यापार: नई संपत्ति की खरीद या नए व्यापार की शुरुआत से बचना चाहिए।


व्रत और संयम: सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य का पालन। तामसिक भोजन: मांस, मदिरा और नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित है।


साल 2026 में अधिकमास की तिथियाँ

साल 2026 में अधिकमास की शुरुआत 17 मई 2026 को होगी, और इसका समापन 15 जून 2026 को होगा।