अडानी समूह ने भूमि आवंटन के दावों का किया खंडन
भूमि आवंटन पर अडानी समूह का स्पष्टीकरण
गुवाहाटी, 19 अगस्त: अडानी समूह ने मंगलवार को मीडिया और सोशल प्लेटफार्मों पर चल रही उन खबरों का स्पष्ट खंडन किया है, जिनमें कहा गया था कि डिमा हसाओ जिले में लगभग 3,000 बिघा भूमि उसे सीमेंट संयंत्र स्थापित करने के लिए आवंटित की गई है।
कंपनी ने एक आधिकारिक बयान में इन रिपोर्टों को 'बेतुका, गलत और भ्रामक' करार दिया, यह स्पष्ट करते हुए कि उसका महाबाल सीमेंट से कोई संबंध नहीं है, जो इस विवाद का केंद्र है।
कंपनी ने कहा, 'अडानी नाम को महाबाल सीमेंट से जोड़ना दुर्भावनापूर्ण है। महाबाल सीमेंट का अडानी समूह से कोई संबंध नहीं है, न ही यह उसके स्वामित्व में है।'
समूह ने मीडिया, डिजिटल प्लेटफार्मों और जनता से अपील की कि वे बिना पुष्टि किए दावों को साझा करने से पहले तथ्यों की जांच करें, यह चेतावनी देते हुए कि भ्रामक जानकारी का प्रसार केवल भ्रम को बढ़ाता है।
यह स्पष्टीकरण तब आया जब समाचार रिपोर्टों, सोशल मीडिया पोस्टों और एक चल रही गुवाहाटी उच्च न्यायालय की सुनवाई के वीडियो क्लिपों का व्यापक प्रसार हुआ।
विवाद तब बढ़ गया जब न्यायमूर्ति संजय कुमार मेधी की सुनवाई के दौरान की गई तीखी टिप्पणियों का एक वीडियो वायरल हुआ। फुटेज में, न्यायमूर्ति मेधी राज्य सरकार के उस निर्णय की आलोचना करते हुए सुनाई दिए, जिसमें महाबाल सीमेंट को इतनी विशाल भूमि आवंटित की गई थी।
न्यायमूर्ति मेधी ने खुले न्यायालय में कहा, 'यह किस तरह का निर्णय है? क्या यह कोई मजाक है? आप एक कंपनी को 3,000 बिघा कैसे आवंटित कर सकते हैं? क्या आप 3,000 बिघा के आकार को समझते हैं? यह जिले का आधा होगा।'
यह वायरल वीडियो विभिन्न प्लेटफार्मों पर हलचल पैदा कर गया, जिसमें कई पोस्टों ने गलत तरीके से अडानी समूह को इस सौदे से जोड़ा। कंपनी का खंडन इस मुद्दे में उसकी भूमिका के बारे में अटकलों को समाप्त करने का प्रयास है।