अजित पवार ने पुणे भूमि विवाद से खुद को अलग किया, जांच की मांग की
अजित पवार का बयान
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने गुरुवार को पुणे में अपने बेटे पार्थ पवार से जुड़े भूमि सौदे के विवाद से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है। पवार ने कहा कि यदि किसी ने उनके नाम का दुरुपयोग किया है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया में जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, उसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। उनका इस मामले से कोई सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
जनता का विश्वास
अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता उन्हें पिछले 35 वर्षों से जानती है। उन्होंने मामले की पूरी जानकारी हासिल करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ महीने पहले भी इसी तरह की बातें सुनने को मिली थीं और उन्होंने किसी भी गलत काम से दूर रहने की सलाह दी थी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बीच क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है। पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मामले की जांच करने और दोषियों को सजा देने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री का आदेश
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़े पुणे भूमि सौदे में अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए हैं। फडणवीस ने कहा, "मैंने सभी जानकारी मांगी है और जांच के आदेश भी दे दिए हैं। हम इस मामले की सच्चाई को सामने लाएंगे।" राज्य सरकार ने एक सब-रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया है और सौदे की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।
जांच समिति का गठन
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि समिति यह जांच करेगी कि स्टाम्प शुल्क में छूट कानून के अनुसार दी गई थी या नहीं। उन्होंने कहा, "महार वतन भूमि के लिए एक विशिष्ट कानून है और विशेष उद्देश्यों के लिए स्टाम्प शुल्क में छूट दी जाती है।" बावनकुले ने समिति को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि महार वतन भूमि से संबंधित कानूनी प्रावधानों का पालन किया गया है। महार वतन का अर्थ महार समुदाय को वंशानुगत भूमि अनुदान से है।