अजमेर शरीफ दरगाह पर गृह मंत्रालय की चिंताजनक रिपोर्ट
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट का सारांश
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अजमेर शरीफ की दरगाह के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें बताया गया है कि यह धार्मिक स्थल कुछ विशेष समूहों के लिए राष्ट्रविरोधी तत्वों, अपराधियों और अवैध बांग्लादेशियों का आश्रय स्थल बनता जा रहा है। यह रिपोर्ट पिछले एक दशक में इस क्षेत्र से पकड़े गए बांग्लादेशियों और अपराधियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए चिंताजनक है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि दरगाह परिसर में अतिक्रमण, अनधिकृत दुकानों और अस्थायी निर्माणों के कारण उर्स के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह रिपोर्ट उस समय आई है जब अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दरगाह में निर्माण कार्यों के लिए व्यय विभाग से धन और अनुमति मांगी थी। गृह मंत्रालय ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए कहा कि पहले पूर्व में हुए निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की रिपोर्ट पेश की जाए।
गृह मंत्रालय की चिंताएं केवल अनुमान नहीं हैं। दरअसल, अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए बिना वीजा के भारत-बांग्लादेश सीमा पार कर अजमेर में रह रहे हैं। ये लोग मुफ्त भोजन और जमीन की तलाश में यहां बसे हुए हैं। धर्म के नाम पर खोली गई दुकानों के कारण यहां हादसों का खतरा बना रहता है।
हर साल, अजमेर दरगाह पर लगभग 80 लाख श्रद्धालु आते हैं, जो ताजमहल के आगंतुकों की संख्या से भी अधिक है। इस स्थिति को देखते हुए गृह मंत्रालय ने दरगाह में अतिक्रमण हटाने और नियंत्रित प्रवेश व्यवस्था लागू करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही, यात्रियों के लिए प्रतीक्षा क्षेत्र और सामान की जांच व्यवस्था को बेहतर बनाने की आवश्यकता भी जताई गई है।
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा है कि दरगाह समिति के अलावा अन्य अधिकारियों को भी निगरानी करनी चाहिए। दरगाह में तैनात आरएसी कर्मियों को अधिक सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्रालय ने अल्पसंख्यक आयोग की मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि दरगाह में अतिक्रमण और जनसुरक्षा पर लगातार खतरे की सूचनाएं मिल रही हैं। मानसून में परिसर का एक हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हुआ था।
अजमेर शरीफ में मुगल और भारतीय इस्लामी स्थापत्य के कई प्रतीक हैं। मंत्रालय ने 2007 में दरगाह में हुए बम विस्फोट का हवाला देते हुए सुरक्षा के लिए पूर्व में हुई बैठकों का जिक्र किया और सुझाव दिया कि प्रवेश और निकास दरवाजों की सुरक्षा सीआरपीएफ या सीआईएसएफ को सौंपने के लिए केंद्र सरकार से निवेदन किया जाना चाहिए।
गृह मंत्रालय की चिंता इस बात को लेकर है कि धर्म के नाम पर अवैध घुसपैठियों को हटाना आवश्यक है। इसके लिए विशेष वर्ग का सहयोग भी जरूरी है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह गृह मंत्रालय की रिपोर्ट पर ध्यान देकर उचित कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में सुरक्षा को लेकर उत्पन्न संभावित खतरों को रोका जा सके।