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Varanium Cloud पर ED की कार्रवाई: IPO धोखाधड़ी का खुलासा

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने Varanium Cloud Ltd के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में मुंबई में छापेमारी की। जांच में पता चला कि कंपनी ने अपने IPO के माध्यम से जुटाए गए धन का दुरुपयोग किया और निवेशकों को धोखा दिया। कंपनी ने दावा किया था कि वह डेटा सेंटर और डिजिटल लर्निंग सेंटर स्थापित करेगी, लेकिन असलियत में कोई प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुआ। इसके बजाय, फर्जी लेनदेन और शेयरों की कृत्रिम कीमत बढ़ाने के माध्यम से मुनाफा कमाया गया। जांच में कई चौंकाने वाले सबूत भी मिले हैं।
 

ईडी की छापेमारी और जांच

ईडी का एक्शन.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 29 अक्टूबर को मुंबई में कई स्थानों पर छापे मारे। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत Varanium Cloud Ltd और इसके प्रमोटर हर्षवर्धन सबले के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है। ईडी को जानकारी मिली थी कि कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड में गंभीर हेराफेरी और अवैध धन को सफेद करने का कार्य चल रहा है।

IPO के माध्यम से निवेशकों से धोखाधड़ी

कंपनी ने सितंबर 2022 में अपना आईपीओ जारी कर लगभग 40 करोड़ रुपये जुटाए थे। यह दावा किया गया था कि यह धन छोटे शहरों में डेटा सेंटर और डिजिटल लर्निंग सेंटर स्थापित करने में उपयोग होगा। Varanium Cloud ने खुद को एक तेजी से बढ़ती टेक कंपनी के रूप में प्रस्तुत किया, जो ब्लॉकचेन, डिजिटल मीडिया और एडटेक से संबंधित है।

हालांकि, जांच में यह स्पष्ट हुआ कि कंपनी ने कोई प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया। IPO से प्राप्त धन का उपयोग फर्जी लेनदेन में किया गया। कंपनी के शेयरों की कीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाया गया और बाद में भारी मात्रा में शेयर बेचकर मुनाफा कमाया गया। यह मामला पंप एंड डंप स्कैम के समान प्रतीत होता है।

चौंकाने वाले सबूतों का खुलासा

  • 400 से अधिक चेकबुक
  • 200 से ज्यादा सिम कार्ड
  • 110 दो-सिम वाले मोबाइल फोन
  • 500 से अधिक फर्जी कंपनी की मुहरें
  • लैपटॉप, हार्ड ड्राइव और अन्य डिजिटल सबूत

जांच में महत्वपूर्ण खुलासे

जांच में यह भी सामने आया कि मुंबई में विभिन्न स्थानों से फर्जी पहचान पत्र और डमी सिम कार्ड के आधार पर सैकड़ों म्यूल बैंक अकाउंट संचालित किए जा रहे थे। इन खातों के माध्यम से 150 से अधिक शेल कंपनियों में धन का लेनदेन किया गया। मोबाइल फोन पर नाम और नंबर चिपकाकर OTP और बैंकिंग कार्यों के लिए इनका उपयोग किया जाता था। इस प्रकार एक व्यापक डिजिटल ठगी नेटवर्क स्थापित किया गया था। ईडी ने कई अन्य व्यक्तियों और कंपनियों को भी संदेह के दायरे में लिया है। आगे की जांच जारी है.