USCC रिपोर्ट पर विवाद: क्या पाकिस्तान ने भारत पर सैन्य सफलता हासिल की?
USCC की रिपोर्ट का विश्लेषण
यूएस–चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमिशन (USCC) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि 7 से 10 मई के बीच हुए चार दिवसीय संघर्ष में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ सैन्य 'सफलता' प्राप्त की। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन ने इस संघर्ष का उपयोग अपने हथियारों के परीक्षण और प्रचार के लिए किया।
हालांकि, यह दावा भारत के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के बयानों के विपरीत है। USCC की यह रिपोर्ट अधिकतर धारणाओं पर आधारित प्रतीत होती है। जो घटनाएँ वास्तव में हुईं, उनका रिकॉर्ड और भारत की सैन्य कार्रवाई को देखते हुए, यह कहना गलत होगा कि पाकिस्तान ने संघर्ष में 'सफलता' हासिल की।
चीन के हथियारों का परीक्षण
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि चीन ने अपने आधुनिक हथियारों जैसे J-10 विमान, PL-15 मिसाइलें और HQ-9 प्रणाली का वास्तविक युद्ध में परीक्षण किया। हालांकि, इस आधार पर यह निष्कर्ष निकालना कि पाकिस्तान ने भारत पर 'सैन्य सफलता' प्राप्त की, एक तथ्यहीन दावा है। क्या केवल हथियारों का परीक्षण किसी देश को विजयी घोषित करने के लिए पर्याप्त है?
क्या रिपोर्ट ने यह नहीं देखा कि ऑपरेशन सिंदूर के प्रारंभिक घंटों में ही पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे को कितनी क्षति पहुँची? क्या यह उल्लेख करना आवश्यक नहीं था कि भारत ने एलओसी पार मौजूद जैश और लश्कर के कैंपों को नष्ट किया?
रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल
USCC की रिपोर्ट का एक अन्य पहलू यह है कि यह चीन की 'डिफेंस एक्सपोर्ट क्रेडिबिलिटी' को बढ़ाने पर केंद्रित है। इससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि क्या यह निष्कर्ष अमेरिकी आंतरिक बहसों का हिस्सा है, जहाँ चीन को एक सैन्य चुनौती के रूप में बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना राजनीतिक रूप से फायदेमंद माना जाता है।
रिपोर्ट में एआई-जनित तस्वीरों का भी उल्लेख किया गया है, जो चीन ने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से 'भारतीय राफेल के मलबे' के रूप में फैलाईं। यह महत्वपूर्ण है कि इन तस्वीरों को गंभीरता से लिया गया, जबकि भारत ने इन्हें खारिज किया।
पाकिस्तान की स्थिति
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब चीन पाकिस्तान को नए हथियारों की बिक्री के लिए आक्रामक रणनीति अपना रहा है। 40 J-35 फाइटर जेट्स और बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पेशकश के साथ, चीन ने दुष्प्रचार चलाया। यह दुष्प्रचार इस रिपोर्ट में किसी 'सफल युद्ध प्रदर्शन' के रूप में प्रस्तुत किया गया।
हालांकि, यह सच है कि पाकिस्तान की सेना अपने उपकरणों और क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने में माहिर है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत कमजोर हुआ या पाकिस्तान विजयी।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता
यह कोई विवाद नहीं है कि ऑपरेशन सिंदूर, 7 मई की सुबह शुरू होते ही, पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे पर सबसे तेज़ और सटीक प्रहारों में से एक साबित हुआ। पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या ने भारत को निर्णायक कार्रवाई के लिए मजबूर किया। भारतीय सेना ने सटीक और स्पष्ट परिणामों के साथ कार्रवाई की।
वहीं, पाकिस्तान की सेना की प्रतिक्रिया घबराहट थी। उसने सैनिक ठिकानों और नागरिक आबादी पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जो उसकी पारंपरिक रणनीति का हिस्सा है।
सैन्य संघर्ष की वास्तविकता
किसी भी सैन्य संघर्ष की वास्तविकता सीमा पर मौजूद सैनिकों को पता होती है, न कि दुष्प्रचार को। भारतीय सेना ने अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से पूरा किया और आतंकवादी ढांचे को भारी क्षति पहुँचाई। यही कारण है कि युद्धविराम की पहल पाकिस्तान की ओर से हुई।
एक ऐसा देश जो अपनी 'सफलता' का दावा कर रहा हो, वह युद्धविराम की भीख नहीं माँगता।
रिपोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल
अमेरिकी कांग्रेस को प्रस्तुत की गई किसी भी रिपोर्ट से यह अपेक्षा की जाती है कि वह संतुलित और तथ्यात्मक हो। लेकिन यह रिपोर्ट न केवल गलत अनुमानों पर आधारित है, बल्कि इसमें भारतीय पक्ष के दर्जनों आधिकारिक बयानों और सैन्य रिकॉर्ड्स की अनदेखी की गई है।
ऐसी रिपोर्टों से न तो भारत–अमेरिका विश्वास बढ़ता है, न क्षेत्रीय स्थिरता को समझने में मदद मिलती है। भारत एक जिम्मेदार सैन्य शक्ति है और उसकी कार्रवाई हमेशा आतंकवाद-विरोधी सिद्धांतों पर आधारित रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय छवि और वास्तविकता
यूएससीसी की यह रिपोर्ट एक बार फिर यह याद दिलाती है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि और संघर्षों की वास्तविकता को जानबूझकर तोड़ा-मरोड़ा जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया कि भारत न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि वह निर्णायक, तेज़ और प्रभावी सैन्य प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।