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SEBI ने म्यूचुअल फंड ट्रांसफर नियमों में बदलाव किया, अब Demat अकाउंट की आवश्यकता नहीं

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जिसमें अब यूनिट्स के ट्रांसफर के लिए Demat अकाउंट की आवश्यकता नहीं होगी। यह निर्णय उन निवेशकों के लिए सहायक होगा जो अपनी होल्डिंग्स को नॉन-डीमैट मोड में रखते हैं। नए नियमों के तहत, परिवार के सदस्यों को यूनिट्स उपहार में देना और कानूनी उत्तराधिकार से संबंधित मामलों को सुलझाना आसान हो जाएगा। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और क्या हैं इसके लाभ।
 

म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए नई राहत

अब बिना Demat अकाउंट ट्रांसफर होंगे Mutual Fund यूनिट्स

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। नए नियमों के अनुसार, अब म्यूचुअल फंड यूनिट्स को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर करने के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता नहीं होगी। यह निर्णय उन करोड़ों निवेशकों के लिए सहायक साबित होगा, जो अपनी होल्डिंग्स को ‘स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट’ (SoA) यानी नॉन-डीमैट मोड में रखते हैं। इससे परिवार के सदस्यों को यूनिट्स उपहार में देना, किसी करीबी का नाम जोड़ना या कानूनी उत्तराधिकार से संबंधित मामलों को सुलझाना आसान हो जाएगा।


बदलाव की आवश्यकता

म्यूचुअल फंड में निवेश केवल धन अर्जित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अक्सर पारिवारिक वित्तीय योजना का हिस्सा भी होता है। जीवन में कई अवसर आते हैं जब निवेशकों को अपनी यूनिट्स किसी अन्य को सौंपने की आवश्यकता होती है। सेबी ने इन व्यावहारिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नियमों को सरल बनाया है।

उदाहरण के लिए, कई बार निवेशक अपने बच्चों या जीवनसाथी को अपनी यूनिट्स उपहार के रूप में देना चाहते हैं। इसके अलावा, यदि किसी यूनिटधारक का निधन हो जाता है, तो कई जटिलताएँ उत्पन्न होती थीं। मान लीजिए, यदि किसी फोलियो में दो जॉइंट होल्डर हैं और उनमें से एक का निधन हो जाता है, तो जीवित धारक अब आसानी से किसी अन्य परिवार के सदस्य को नए जॉइंट होल्डर के रूप में जोड़ सकता है।


नियमों का दायरा

सेबी का यह नया सर्कुलर लगभग सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं पर लागू होता है। निवेशक किसी भी फंड हाउस की स्कीम की यूनिट्स को इस सुविधा के तहत ट्रांसफर कर सकते हैं। हालांकि, इसमें दो मुख्य अपवाद हैं।

पहला, यह सुविधा एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) पर लागू नहीं होगी, क्योंकि उनकी खरीद-फरोख्त स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होती है। दूसरा, यह नियम सॉल्यूशन-ओरिएंटेड स्कीमों (जैसे चिल्ड्रन्स फंड या रिटायरमेंट फंड) पर भी लागू नहीं होगा। इसका मुख्य कारण यह है कि इन योजनाओं में उम्र-आधारित पात्रता मानदंड और एक तय लॉक-इन अवधि होती है, जो ट्रांसफर की प्रक्रिया को बाधित करती है।


डिजिटल प्रक्रिया

सेबी ने इस पूरी प्रक्रिया को सुरक्षित और पूरी तरह से डिजिटल बना दिया है। यूनिट्स ट्रांसफर करने के लिए निवेशकों को कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है, यह काम केवल रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट्स (RTAs) जैसे CAMS, KFintech, या MF सेंट्रल की वेबसाइट के माध्यम से किया जा सकता है।

प्रक्रिया सरल है। सबसे पहले, यूनिट्स ट्रांसफर करने वाले को अपने पैन (PAN) नंबर का उपयोग करके आरटीए पोर्टल पर लॉग-इन करना होगा। वहाँ उन्हें उस स्कीम को चुनना होगा जिससे वे यूनिट्स ट्रांसफर करना चाहते हैं और साथ ही, जिसे यूनिट्स दी जा रही हैं उसका विवरण भरना होगा।


जरूरी शर्तें

इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए सेबी ने कुछ बुनियादी शर्तें भी तय की हैं। सबसे पहली और महत्वपूर्ण शर्त यह है कि जिन यूनिट्स को ट्रांसफर किया जा रहा है, वे किसी भी तरह के बंधक, फ्रीज़ या लॉक-इन में नहीं होनी चाहिए।

दूसरी शर्त यह है कि ट्रांसफर करने वाले और ट्रांसफर पाने वाले, दोनों का एक ही म्यूचुअल फंड हाउस में एक वैध फोलियो होना आवश्यक है। इसके अलावा, दोनों पक्षों का केवाईसी (KYC) पूरी तरह से वैध और सत्यापित होना अनिवार्य है।