RSS के स्मारक सिक्के पर विवाद: 'राष्ट्राय स्वाहा' का अर्थ क्या है?
RSS के सिक्के पर उठे सवाल
RSS के सिक्के पर हो रहा विवाद
एक पुरानी कहावत है कि आग जितनी फैलती है, उतने ही दुश्मन पैदा करती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर सरकार द्वारा जारी किए गए सिक्के ने विवाद को जन्म दिया है। इस सिक्के पर अंकित सूक्ति 'राष्ट्राय स्वाहा' का अर्थ समझे बिना ही लोगों ने हंगामा खड़ा कर दिया। इस सिक्के पर भारत माता की छवि है, और संस्कृत में लिखा है कि सब कुछ राष्ट्र को समर्पित है। इस सूक्ति को गलत समझकर RSS पर आरोप लगाया गया कि वह राष्ट्र को समाप्त करना चाहता है। जबकि इसका सही अर्थ है कि सब कुछ राष्ट्र का है, और यह सब कुछ राष्ट्र को समर्पित है। इस सामान्य सूक्ति को लेकर RSS के विरोधियों ने ऐसा हमला किया जैसे संघ राष्ट्र के खिलाफ हो।
विरोधियों की नासमझी
विरोधियों का यह प्रचार उनकी समझ की कमी को दर्शाता है और इससे RSS को और मजबूती मिलती है। भारतीय संस्कृति और भाषा का ज्ञान रखने वालों को ऐसी नासमझी नहीं दिखानी चाहिए। इससे RSS के विरोधियों की हंसी उड़ी है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि किसी संगठन पर सिक्का जारी नहीं होना चाहिए। RSS ने हमेशा खुद को एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन बताया है, और उसका उद्देश्य राष्ट्र को मजबूत करना है। किसी भी सरकार ने आज तक RSS के इस दावे को खारिज नहीं किया है। हालांकि, उस पर प्रतिबंध जरूर लगे हैं, लेकिन ये प्रतिबंध लंबे समय तक नहीं टिक सके।
सरकार का अधिकार
सरकार को सिक्के जारी करने का अधिकार है और वह उनके विपणन मूल्य को भी निर्धारित कर सकती है। इसके अलावा, सरकार किसी समाजसेवी संगठन पर स्मारक सिक्का या डाक टिकट जारी कर सकती है। पहले भी वित्त मंत्रालय ने ऐसे स्मारक सिक्के जारी किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अक्टूबर को अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में एक डाक टिकट और 100 रुपए का स्मारक सिक्का जारी किया है, जो RSS की सामाजिक सेवाओं के उपलक्ष्य में है।
विशेष अवसरों पर स्मारक सिक्के
RSS के 100 वर्ष पूरे होने पर जारी किए गए इस सिक्के पर भारत माता की छवि है, जिसके आगे RSS के लोग विनम्र मुद्रा में झुके हुए हैं। दूसरी ओर, राष्ट्र का प्रतीक चिन्ह सिंह की आकृति है। 1906 में बने सिक्का अधिनियम के तहत, सोने या चांदी के सिक्कों के स्थान पर तांबे के सिक्कों का चलन शुरू हुआ। 1975 में इसे संशोधित किया गया, जिससे केंद्र सरकार को 100 रुपए या इससे अधिक मूल्य के सिक्के ढालने का अधिकार मिला। अब तक कई स्मारक सिक्के जारी किए जा चुके हैं।
स्मारक सिक्कों की उपयोगिता
स्मारक सिक्के हमारे अतीत की याद दिलाते हैं और इन्हें जारी रखना आवश्यक है। ये सिक्के केवल संग्रह के लिए होते हैं और बाजार में नहीं आते। हालांकि, कुछ सिक्कों को चलन में लाया जाता है। जैसे, 1964 में नेहरू जी की स्मृति में सिक्का जारी किया गया था। स्मारक सिक्कों से सरकार को आमदनी होती है, जो राज्य के खाते में जाती है। ये सिक्के हमारे इतिहास को सहेजने का एक माध्यम हैं।