RSS के शताब्दी वर्ष पर संगठनात्मक ढांचे में महत्वपूर्ण परिवर्तन
नागपुर में संघ का ऐतिहासिक बदलाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संगठनात्मक ढांचे में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक परिवर्तन करने की योजना बना रहा है। संघ ने समय-समय पर अपने आप को बदलते हालात के अनुसार ढाला है। कुछ साल पहले जब संघ ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में बदलाव किया था, तब यह चर्चा का विषय बना था। अब शताब्दी वर्ष के मौके पर संघ की आंतरिक संरचना में व्यापक परिवर्तन प्रस्तावित है, जिसे संगठन के भविष्य के विकास और कार्यकुशलता से जोड़ा जा रहा है.
प्रांत प्रचारक की व्यवस्था में बदलाव
सूत्रों के अनुसार, इस बदलाव का सबसे बड़ा प्रभाव प्रांत प्रचारक की व्यवस्था पर पड़ेगा। नई संरचना के तहत प्रांत प्रचारक की जगह संभाग प्रचारक नियुक्त किए जाएंगे। संभाग प्रचारकों का कार्यक्षेत्र प्रांत प्रचारकों की तुलना में छोटा होगा, जिससे संगठनात्मक कार्य अधिक प्रभावी और स्थानीय स्तर पर सशक्त हो सकेगा। इसके साथ ही, हर राज्य में एक राज्य प्रचारक की व्यवस्था की जाएगी, जो पूरे राज्य में संघ के कार्यों का समन्वय करेंगे.
संभागों का नया गठन
संघ की नई संरचना में लगभग दो सरकारी मंडलों को मिलाकर एक संभाग बनाया जाएगा। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में वर्तमान में संघ ने राज्य को छह प्रांतों में विभाजित किया हुआ है। नई व्यवस्था के अनुसार, इन 18 मंडलों को मिलाकर 9 संभाग बनाए जाएंगे, जिससे उत्तर प्रदेश में अब नौ संभाग प्रचारक होंगे और पूरे राज्य के लिए एक राज्य प्रचारक कार्य करेगा.
संघ में प्रांत व्यवस्था का समापन
मौजूदा व्यवस्था में उत्तर क्षेत्र में हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर शामिल हैं। अब इसमें राजस्थान को भी जोड़ने की योजना है। प्रांत प्रचारक की जगह राज्य प्रचारक बनाए जाएंगे, जिससे संघ में प्रांत व्यवस्था समाप्त हो सकती है.
संभागीय प्रचारकों की नई व्यवस्था
अब देश के हर राज्य में एक प्रचारक होगा, जिसे राज्य प्रचारक कहा जाएगा। जैसे उत्तर प्रदेश में सात प्रांत प्रचारकों की जगह अब एक राज्य प्रचारक होगा। संभागीय प्रचारक की नई व्यवस्था कमिश्नरी स्तर पर लागू होगी, और राष्ट्रीय स्तर पर 75 से अधिक संभागीय प्रचारक होंगे.
सुझावों के आधार पर बदलाव
संभागीय प्रचारक के नीचे की व्यवस्था पहले की तरह ही जारी रहेगी। संघ ने आंतरिक व्यवस्था और संगठन पदानुक्रम के पुनर्गठन के लिए एक टीम बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट और सुझाव प्रस्तुत किए हैं। इन सुझावों पर सहमति बन गई है, और यह व्यवस्था शताब्दी वर्ष समारोह के बाद लागू हो सकती है.
संघ की बैठकों में प्रस्तावित परिवर्तन
संघ की बैठकों की संरचना में भी बदलाव की योजना है। मार्च में होने वाली संघ की सबसे बड़ी बैठक अब हर साल नहीं होगी, बल्कि यह हर तीन साल में नागपुर में आयोजित की जाएगी। हालांकि, दीपावली के आसपास होने वाली अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक हर वर्ष की तरह जारी रहेगी. सूत्रों के अनुसार, संघ की इस नई रचना पर पिछले 5-6 वर्षों से विचार चल रहा था, और अब इन बदलावों पर सहमति बनती दिख रही है.