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RBI के नए कदम: बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए चार महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें जोखिम-आधारित जमा बीमा प्रीमियम, ECL प्रोविजन प्रेमवर्क, संशोधित बेसल III मानदंड और निवेश से संबंधित नियमों में बदलाव शामिल हैं। ये कदम बैंकों को अधिक प्रतिस्पर्धी और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से उठाए गए हैं। जानें इन परिवर्तनों का बैंकिंग प्रणाली पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

भारतीय रिज़र्व बैंक के सुधारात्मक कदम

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकिंग प्रणाली को मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए चार महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन पहलों का उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम को कम करना, प्रबंधन में सुधार करना और ग्राहकों को सुरक्षा का अनुभव कराना है। RBI ने ये परिवर्तन इस सोच के साथ किए हैं कि बैंक आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहें।


जोखिम-आधारित जमा बीमा प्रीमियम

पहला महत्वपूर्ण कदम है जोखिम-आधारित जमा बीमा प्रीमियम का कार्यान्वयन। पहले, सभी बैंक एक समान प्रीमियम का भुगतान करते थे, चाहे उनका जोखिम स्तर कुछ भी हो। अब RBI ने निर्देशित किया है कि बैंक को उनके जोखिम के अनुसार प्रीमियम का भुगतान करना होगा। इससे मजबूत और सुरक्षित बैंकों को कम प्रीमियम देना होगा, जबकि अधिक जोखिम वाले बैंकों को अधिक प्रीमियम का भुगतान करना होगा। यह कदम बैंकों को बेहतर जोखिम प्रबंधन की ओर प्रेरित करेगा और पूरे प्रणाली की स्थिरता को बढ़ाएगा।


ECL प्रोविजन प्रेमवर्क का कार्यान्वयन

दूसरा महत्वपूर्ण कदम ECL (अपेक्षित ऋण हानि) प्रोविजन प्रेमवर्क का कार्यान्वयन है। इसका अर्थ है कि बैंक अब संभावित खोए हुए कर्ज का पूर्वानुमान लगाएंगे और उसके अनुसार धन अलग रखेंगे। RBI ने इसे 1 अप्रैल 2027 से लागू करने का प्रस्ताव रखा है, और इसे धीरे-धीरे 31 मार्च 2031 तक पूरा किया जाएगा। इससे बैंक अचानक बड़े घाटे से बच सकेंगे और उनका वित्तीय ढांचा मजबूत होगा।


संशोधित बेसल III मानदंड

तीसरा महत्वपूर्ण बदलाव RBI के संशोधित बेसल III पूंजी पर्याप्तता मानदंड में है। ये नियम अप्रैल 2027 से लागू हो सकते हैं। नए नियमों के अनुसार, MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) और होम लोन को कम जोखिम माना जाएगा। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों के लिए बैंकों को कम पूंजी जमा करनी होगी, जिससे वे इन क्षेत्रों को अधिक ऋण दे सकेंगे। इससे अर्थव्यवस्था में रोजगार और विकास को बढ़ावा मिलेगा।


निवेश से संबंधित नियमों में बदलाव

चौथा और अंतिम कदम निवेश से संबंधित नियमों में बदलाव है। पहले, बैंक और उनकी समूह संस्थाओं के बीच कारोबार को लेकर कड़ाई थी, जिससे वे स्वतंत्र रूप से अपने निवेश और व्यवसाय को नहीं चला पाते थे। अब RBI ने इस नियम को हटाकर बैंकों को अधिक स्वतंत्रता दी है। बैंक अपनी आवश्यकताओं के अनुसार निवेश और कारोबार की रणनीति तय कर सकेंगे, जिससे उनकी कार्यक्षमता में सुधार होगा।