शशि थरूर ने पीएम मोदी की तारीफ की, विवाद खड़ा हुआ
कांग्रेस सांसद की तारीफों का नया विवाद
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बार फिर सराहना की है, जिससे नया विवाद उत्पन्न हो गया है। थरूर ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक पोस्ट में बताया कि उन्होंने दिल्ली में एक कार्यक्रम में भाग लिया, जहां पीएम मोदी ने भारत की तेजी से हो रही रचनात्मक प्रगति पर चर्चा की। इसके साथ ही, उन्होंने उपनिवेशवाद-विरोधी मानसिकता पर भी जोर दिया। थरूर, जो हाल ही में बीमार हुए थे, फिर भी इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे।
पीएम मोदी के भाषण की सराहना
थरूर ने पीएम मोदी के भाषण की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें आर्थिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक आह्वान दोनों शामिल थे। उन्होंने बताया कि इस भाषण में राष्ट्र की प्रगति को तेजी से और बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने का आग्रह किया गया।
भारत का नया मॉडल
थरूर ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब केवल एक ‘उभरता हुआ बाजार’ नहीं है, बल्कि यह दुनिया के लिए एक ‘उभरता हुआ मॉडल’ बन गया है। पीएम मोदी ने देश के आर्थिक लचीलेपन का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उन पर हमेशा ‘चुनावी मूड’ में रहने का आरोप लगाया जाता है, जबकि असल में वे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए ‘भावनात्मक मूड’ में थे।
गुलामी मानसिकता का विरुद्ध
कांग्रेस सांसद ने बताया कि पीएम मोदी के भाषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मैकाले की 200 साल पुरानी ‘गुलामी मानसिकता’ को पलटने पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने भारत की विरासत, भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों में गर्व बहाल करने के लिए 10 साल के राष्ट्रीय मिशन की अपील की।
थरूर की स्वतंत्र राय
थरूर की यह टिप्पणी लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के विवाद के बाद आई है, जिसके लिए कांग्रेस नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी। कांग्रेस ने थरूर की इस टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया है, यह कहते हुए कि थरूर अपनी राय व्यक्त करते हैं। यह तथ्य कि वह CWC सदस्य के रूप में ऐसा कर पा रहे हैं, पार्टी की लोकतांत्रिक और उदार भावना को दर्शाता है।
वंशवाद पर थरूर की टिप्पणी
थरूर ने पहले राजनीतिक परिदृश्य में वंशवादी राजनीति की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि नेहरू-गांधी वंश का प्रभाव इस विचार को मजबूत करता है कि राजनीतिक नेतृत्व जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि अब समय आ गया है कि भारत वंशवाद को योग्यतावाद से बदल दे। बीजेपी ने थरूर की टिप्पणी को चुनौती दी और इसे भारतीय राजनीति के पारिवारिक व्यवसाय बनने का एक व्यावहारिक लेख बताया।