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योगी आदित्यनाथ का विपक्ष पर हमला: राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर निशाना

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी नेताओं पर तीखा हमला करते हुए राहुल गांधी और अखिलेश यादव को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि ये नेता महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के दौरान देश छोड़कर चले जाते हैं। आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह विवाद राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है। अखिलेश यादव ने इस पर पलटवार करते हुए इसे भाजपा के भीतर फूट का संकेत बताया। जानें इस राजनीतिक विवाद की पूरी कहानी।
 

मुख्यमंत्री का तीखा बयान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विपक्षी नेताओं पर कड़ा प्रहार करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को परोक्ष रूप से निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि ये दोनों "नमूने" महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के दौरान देश छोड़कर चले जाते हैं। यह टिप्पणी उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की, जब समाजवादी पार्टी ने कोडीन-आधारित कफ सिरप के अवैध व्यापार के आरोप लगाए थे।


विपक्ष के आरोपों का खंडन

आदित्यनाथ ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विवाद राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है, न कि तथ्यों पर आधारित। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले में समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्यों की संलिप्तता है, और कहा कि संबंधित वित्तीय लेनदेन पार्टी के एक पदाधिकारी के खाते से हुए थे। उन्होंने बताया कि विशेष कार्य बल इस मामले की जांच कर रहा है।


आदित्यनाथ का मजाकिया अंदाज

बिना किसी का नाम लिए, आदित्यनाथ ने कहा कि "दो नाम" में से एक दिल्ली में और दूसरा लखनऊ में निवास करता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी देश में कोई गंभीर चर्चा होती है, ये दोनों गायब हो जाते हैं। उन्होंने अखिलेश यादव का मजाक उड़ाते हुए कहा कि वे जल्द ही विदेश यात्रा पर निकल जाएंगे, जबकि उनकी पार्टी विधानसभा में नारे लगाती रहेगी।


अखिलेश यादव का जवाब

अखिलेश यादव ने आदित्यनाथ की टिप्पणियों को भाजपा के भीतर फूट का संकेत बताते हुए पलटवार किया। विधानसभा में बोलते हुए और बाद में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह टिप्पणी दिल्ली और लखनऊ के बीच आंतरिक संघर्ष को दर्शाती है। यादव ने इसे "आत्म-स्वीकृति" करार देते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि दिल्ली-लखनऊ के बीच सत्ता संघर्ष बढ़ रहा है।