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महिलाओं के लिए खतरनाक बन चुका है पश्चिम बंगाल : सुधांशु त्रिवेदी

नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में आईएएस अधिकारी की पत्नी से बंदूक की नोक पर दुष्कर्म मामले ने पुलिस को सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। हाईकोर्ट ने भी इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रतिक्रिया दी है।
 

नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में आईएएस अधिकारी की पत्नी से बंदूक की नोक पर दुष्कर्म मामले ने पुलिस को सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। हाईकोर्ट ने भी इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रत‍िक्रि‍या दी है।

उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया। पीड़िता द्वारा शिकायत किए जाने के बावजूद भी पुलिस ने उचित कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा। इस पर हाईकोर्ट ने भी कई गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने सबसे पहला सवाल यह उठाया कि आखिर इस मामले में जांच अधिकारी कोई महिला क्यों नहीं है? आखिर क्यों किसी पुरुष को एक जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया? घटना का सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध नहीं कराया गया। घटना 14-15 जुलाई की है, लेकिन मेडिकल जांच 20 अगस्त को करवाई गई, इस पर कोर्ट ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि ऐसा करके इस घटना से जुड़े साक्ष्यों को नष्ट करने का प्रयास किया गया।”

उन्होंने कहा, “पुलिस ने इस मामले में हल्की धाराओं में केस दर्ज किया। जिस पर कोलकाता हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों पर इसे लेकर कार्रवाई की जानी चाहिए और महिला जांच अधिकारी द्वारा इसकी जांच कराई जानी चाहिए, ताकि मामला स्पष्ट हो सके।”

उन्होंने कहा, “इससे स्पष्ट होता है कि पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए कितना खतरनाक बन चुका है। बिहार के चंपा विश्वास कांड के बाद यह भारत के सबसे दुर्दांत मामलों में शुमार है और इन विषयों पर पश्चिम बंगाल सरकार कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में तृणमूल छात्र परिषद के दो पदाधिकारियों ने आरजी कर की घटना के ऊपर शॉर्ट फिल्म बनाई। इसमें पीड़िता को ही गलत दिखाने का प्रयास किया गया। इससे आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि यह लोग महिला सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं। ऐसा करके इस वीभत्स घटना में संलिप्त अपराधियों को जस्टिफाई करने की कोशिश की गई। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर भी अपलोड किया गया। हालांकि, बाद में विरोध के बाद इस वीडियो को सोशल मीडिया पर से हटाना पड़ा।”

--आईएएनएस

एसएचके/सीबीटी