बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की हार: तेजस्वी यादव की चुनौती
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को मिली हार ने पार्टी के नेता तेजस्वी यादव के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। चुनावी उतार-चढ़ाव के बीच, राजद ने अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया है। तेजस्वी का क्रिकेट से राजनीति में आना और उनके नेतृत्व में पार्टी की घटती सीटों की संख्या पर चर्चा की गई है। क्या राजद अपने मुद्दों को उठाने में सफल होगी? जानिए इस विस्तृत विश्लेषण में।
Nov 15, 2025, 15:52 IST
राजद की प्रतिक्रिया
बिहार विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के एक दिन बाद, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने शनिवार को कहा कि चुनावी उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं। पार्टी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर हिंदी में एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि जनसेवा एक निरंतर प्रक्रिया है, जो कभी खत्म नहीं होती। हार में निराशा नहीं होनी चाहिए और जीत में घमंड नहीं। राजद गरीबों की पार्टी है और वह हमेशा उनके मुद्दों को उठाती रहेगी!
तेजस्वी यादव का चुनावी सफर
जब तेजस्वी यादव को महागठबंधन में शामिल सहयोगियों की इच्छा के खिलाफ मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि राजद को इस तरह की अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ेगा। 25 साल की उम्र में उपमुख्यमंत्री बनने के 10 साल बाद, तेजस्वी ने राजद के गढ़ राघोपुर से भाजपा के सतीश कुमार को हराकर जीत तो हासिल की, लेकिन पार्टी केवल 25 सीटों पर सिमट गई।
तेजस्वी का क्रिकेट से राजनीति तक का सफर
तेजस्वी ने अपने करियर की शुरुआत क्रिकेट से की थी, लेकिन इस खेल में वह सफल नहीं हो सके। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और कुछ सफलता भी पाई। हालांकि, बिहार के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार के सदस्य होने के नाते, उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि उनके नेतृत्व में पार्टी को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। 2015 में राजनीति में कदम रखने से पहले, उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लिया था। लालू प्रसाद ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
चुनाव में राजद की स्थिति
हालांकि, तेजस्वी की किस्मत में कुछ और ही लिखा था। उनका नाम एक कथित धनशोधन मामले में आया, जब उनके पिता रेल मंत्री थे। इस मामले के चलते नीतीश कुमार ने राजद से नाता तोड़ लिया। 2020 के चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन इस बार उसकी सीटों की संख्या आधे से भी कम रह गई है। ऐसा लगता है कि तेजस्वी सत्तारूढ़ गठबंधन के दावों का मुकाबला करने में असफल रहे हैं।
राजद के उम्मीदवारों की विवादास्पद बातें
राजद के उम्मीदवारों द्वारा मंच पर की गई विवादास्पद टिप्पणियों और नाबालिग लड़कों द्वारा अवैध हथियारों के प्रदर्शन पर पार्टी नेतृत्व ने कोई आपत्ति नहीं जताई, जिससे 'जंगलराज' की कहानी को और बल मिला। ऐसा प्रतीत होता है कि तेजस्वी ने अपने पूर्व बॉस और अपने पिता के प्रतिद्वंद्वी नीतीश कुमार का सही आकलन नहीं किया।