जम्मू-कश्मीर के राज्य दर्जे की बहाली के लिए एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता: गुलाम नबी आजाद
राज्य दर्जे की बहाली पर जोर
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा पुनः बहाल करने के लिए एक समग्र राजनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया है।
आजाद ने जम्मू-कश्मीर में विकास की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की योजनाएं तो आगे बढ़ रही हैं, लेकिन राज्य स्तर की परियोजनाएं पूरी तरह से ठप हैं।
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ने संसद में राज्य के दर्जे का वादा किया है।"
राजनीतिक संवाद की आवश्यकता
आजाद ने कहा कि कुछ गलतियों के कारण इस मुद्दे में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि पहले सरकार के सामने मांग रखी जानी चाहिए, लेकिन लोग तुरंत सड़कों पर उतर आते हैं।
उन्होंने इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया।
आजाद ने कहा कि प्रदर्शनों के दो प्रकार होते हैं: एक प्रतीकात्मक और दूसरा लक्ष्य आधारित, लेकिन सड़कों पर उतरने से पहले राजनीतिक नेतृत्व को दिल्ली से संवाद करना चाहिए था।
सहमति और विधानसभा का महत्व
उन्होंने कहा कि इस मांग को लेकर विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों के बीच व्यापक सहमति है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा विधानसभा में विशेष सत्र बुलाने के निर्णय का स्वागत करते हुए आजाद ने कहा कि विधानसभा सभी दलों का साझा मंच है और इस मुद्दे को पक्षपाती नजरिए से नहीं देखना चाहिए।
उन्होंने उपराष्ट्रपति बनने की अटकलों को अफवाह बताते हुए कहा, "संविधानिक पदों पर चर्चा सड़कों पर नहीं होनी चाहिए।"
विकास कार्यों पर चिंता
आजाद ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित सवालों का सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा कि यह मुद्दा बहस का विषय है और इसे संसद में उठाया जा सकता है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्रीय परियोजनाएं प्रगति पर हैं, लेकिन राज्य स्तर की पहलों में कोई प्रगति नहीं हो रही है।