PCOD और PCOS: महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव और अंतर
PCOD और PCOS: एक महत्वपूर्ण समझ
आजकल की जीवनशैली के कारण, कई महिलाएं अनियमित मासिक धर्म, वजन बढ़ने, चेहरे पर पिंपल्स और बालों के झड़ने जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं। अक्सर महिलाएं इसे खानपान की कमी और तनाव का परिणाम मानती हैं। लेकिन जब समस्या गंभीर हो जाती है और डॉक्टर से परामर्श लिया जाता है, तो पता चलता है कि यह PCOD या PCOS हो सकता है। कई महिलाएं इन दोनों स्थितियों के बीच का अंतर नहीं समझ पाती हैं। हालांकि, नाम समान होने के बावजूद, दोनों में महत्वपूर्ण भिन्नताएँ हैं।
PCOD और PCOS में अंतर
PCOD, जिसे Polycystic Ovarian Disease कहा जाता है, एक विकार है, जबकि PCOS, या Polycystic Ovary Syndrome, एक जटिल स्थिति है। PCOD में महिलाओं के अंडाशय सामान्य से बड़े हो जाते हैं, जिससे छोटे-छोटे सिस्ट बनते हैं। दूसरी ओर, PCOS में शरीर में एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे ओव्यूलेशन रुक सकता है।
कौन सा अधिक गंभीर है?
PCOD में गर्भधारण की संभावना बनी रहती है, जबकि PCOS में ओव्यूलेशन रुकने के कारण गर्भधारण में कठिनाई होती है, जिससे इसे अधिक गंभीर माना जाता है। PCOD केवल अंडाशय को प्रभावित करता है, जबकि PCOS पूरे शरीर पर प्रभाव डालता है, जैसे वजन बढ़ना, बालों का झड़ना, चेहरे पर अनचाहे बाल, मूड स्विंग्स और थकान।
हार्मोनल असंतुलन
दोनों स्थितियों का मुख्य कारण खराब खानपान है। जंक फूड, देर रात तक जागना, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी से हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे PCOD और PCOS का खतरा बढ़ता है। कई बार महिलाएं इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
लक्षण
PCOD और PCOS के लक्षण समान होते हैं, जैसे कि मासिक धर्म का न आना, अत्यधिक या कम रक्तस्राव, मुंहासे, बालों का झड़ना, चेहरे पर बाल आना, वजन में अचानक वृद्धि या गर्भधारण में कठिनाई। ये सभी लक्षण शरीर में हो रहे हार्मोनल परिवर्तनों का संकेत हो सकते हैं.