×

NIA की जांच में ISI के जासूसी नेटवर्क का खुलासा

NIA ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के जासूसी नेटवर्क का खुलासा किया है, जिसमें व्यापार और यात्रा के माध्यम से फंडिंग का रहस्य उजागर हुआ है। जांच में यह सामने आया है कि ISI ने भारत में जासूसों को वित्तीय सहायता देने के लिए एक गुप्त नेटवर्क स्थापित किया था। गिरफ्तार किए गए सीआरपीएफ के सहायक उप-निरीक्षक मोती राम जाट से मिली जानकारी के अनुसार, उन्हें बड़ी रकम भेजी गई थी, जो जासूसी के लिए उपयोग की गई। NIA अब इस नेटवर्क के पीछे के लोगों की पहचान करने में जुटी है।
 

NIA की जांच में महत्वपूर्ण जानकारी

NIA की जांच में खुलासा

भारतीय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के जासूसी नेटवर्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। जांच में यह सामने आया है कि ISI ने भारत में जासूसों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक गुप्त नेटवर्क स्थापित किया था। यह नेटवर्क व्यापार, यात्रा और धन हस्तांतरण के माध्यम से संचालित होता था, जिससे किसी को भी संदेह न हो। हाल ही में गिरफ्तार किए गए सीआरपीएफ के सहायक उप-निरीक्षक मोती राम जाट से पूछताछ के दौरान यह जानकारी मिली।

NIA ने 27 मई को मोती राम जाट को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तानी एजेंटों को संवेदनशील जानकारियाँ लीक कीं। जांच में पता चला कि अक्टूबर 2023 से अप्रैल 2025 के बीच उन्हें लगभग 1.90 लाख रुपये प्राप्त हुए। यह राशि उनके और उनकी पत्नी के बैंक खातों में सीधे भेजी गई थी। यह रकम व्यापार भुगतान या रेमिटेंस के रूप में दिखाई देती थी, लेकिन असल में यह जासूसी के लिए वित्तीय सहायता थी.

दुबई और बैंकॉक से धन हस्तांतरण

फंडिंग नेटवर्क के खुलासे के बाद NIA को यह जानकारी मिली कि पैसे भेजने के लिए कई तरीके अपनाए गए थे। पाकिस्तान से कपड़े और लग्जरी सूट दुबई भेजे जाते थे। वहां से इनवॉइस बनाकर भारत के छोटे दुकानदारों को भेजा जाता था। दुकानदारों को लगता था कि वे माल का भुगतान कर रहे हैं, जबकि असल में रकम जासूसी नेटवर्क तक पहुंच जाती थी। थाईलैंड में बसे भारतीय व्यापारी पर्यटकों को सस्ते दाम पर विदेशी मुद्रा प्रदान करते थे और फिर उतनी ही राशि भारत में खातों के माध्यम से भेज देते थे.

जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है

इससे न केवल विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन हुआ, बल्कि जासूसी के लिए वित्तीय सहायता भी होती रही। दिल्ली और मुंबई के छोटे मोबाइल दुकानदार नकद में अपने खातों से पैसे ट्रांसफर करते थे, जिससे नेटवर्क और भी गुप्त बना रहता। NIA अब इस पूरे नेटवर्क के पीछे जुड़े लोगों और एजेंटों की पहचान करने में जुट गई है। इस मामले को लेकर जांच एजेंसियां सतर्क हैं.