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Meta का अरबों डॉलर का अंडरसी केबल प्रोजेक्ट भारत में शुरू

Meta Platforms ने भारत में अपने अरबों डॉलर के अंडरसी केबल प्रोजेक्ट Waterworth की शुरुआत की है, जिसमें मुंबई और विशाखापट्टनम को चुना गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत, Meta ने सिफी टेक्नोलॉजीज को लैंडिंग पार्टनर के रूप में नियुक्त किया है। यह केबल अमेरिका, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को जोड़ने वाला सबसे लंबा सब-सी केबल सिस्टम बनेगा। जानें कि कैसे ये केबल तेज इंटरनेट और बेहतर संचार सेवाएं प्रदान करेंगी, और अन्य कंपनियों का इस क्षेत्र में निवेश।
 

Meta का नया अंडरसी केबल प्रोजेक्ट

Meta Undersea CableImage Credit source: Eoneren/E+/Getty Images/File Photo

कई कंपनियां समुद्र के नीचे केबल बिछाने के लिए भारी निवेश कर रही हैं। Meta Platforms ने भारत में अपने अरबों डॉलर के अंडरसी केबल प्रोजेक्ट, जिसे Waterworth कहा जाता है, के लिए मुंबई और विशाखापट्टनम को चुना है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की मालिक इस कंपनी ने भारत में सिफी टेक्नोलॉजीज को लैंडिंग पार्टनर के रूप में 50 लाख डॉलर (लगभग 44.34 करोड़) के अनुबंध के तहत नियुक्त किया है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, Google ने भी भारत में अपनी 40 करोड़ डॉलर (लगभग 3547.05 करोड़ रुपए) की ब्लू-रमन सबसी केबल के लिए सिफी के साथ साझेदारी की है। यह केबल 50,000 किलोमीटर से अधिक लंबी होगी, जिससे मेटा का Waterworth प्रोजेक्ट अमेरिका, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को जोड़ने वाला सबसे लंबा सब-सी केबल सिस्टम बनेगा। इस केबल के 2030 तक आने की उम्मीद है।

Undersea Cable के फायदे

आपमें से कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि कंपनियां करोड़ों रुपए खर्च कर समुद्र के नीचे केबल क्यों बिछाती हैं। इन केबलों से तेज इंटरनेट, कम विलंबता और अधिक विश्वसनीय संचार सेवाएं मिलती हैं, क्योंकि ये केबल वैश्विक इंटरनेट नेटवर्क को जोड़ती हैं।

अन्य कंपनियों का निवेश

मेटा और गूगल के अलावा, भारतीय टेलीकॉम कंपनियां जैसे रिलायंस जियो और भारती एयरटेल भी देश में बढ़ती डेटा मांग को पूरा करने के लिए केबल सिस्टम में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अनुमान है कि वैश्विक सबमरीन कम्युनिकेशन केबल मार्केट 2023 में 27.57 अरब डॉलर से बढ़कर 2028 में 7.2% की वार्षिक वृद्धि दर से 40.58 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय बाजार सबसे तेजी से बढ़ रहा है, जो 2030 तक 78.6 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।