IMD के 150 साल: भारत ने पूर्ववर्ती देशों को किया आमंत्रित
भारत मौसम विज्ञान विभाग का 150वां वर्ष
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, भारत सरकार ने उन देशों को निमंत्रण भेजा है जो कभी अविभाजित भारत का हिस्सा थे। यह विशेष अवसर IMD की स्थापना के 150 वर्षों के उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।
निमंत्रित देशों की सूची
भारत ने निमंत्रण भेजा है पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार, भूटान, मालदीव, श्रीलंका और नेपाल को। इन देशों के अधिकारियों को इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
IMD के 150 साल: भव्य आयोजन और नए कार्यक्रम
IMD के 150 साल पूरे होने के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें मैराथन, प्रदर्शनी, कार्यशालाएं और ओलंपियाड जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इसके साथ ही, वित्त मंत्रालय ने इस अवसर पर एक विशेष 150 रुपये का समर्पण सिक्का जारी करने की मंजूरी दी है। IMD अपने पहले टेबलौ का प्रदर्शन भी करेगा, जो गणतंत्र दिवस की परेड में दिखाया जाएगा।
अविभाजित भारत के देशों को आमंत्रित किया गया
IMD की स्थापना 1875 में हुई थी, और तब यह अविभाजित भारत का हिस्सा था। इसलिए, भारत सरकार ने उन सभी देशों को आमंत्रित किया है जो तब भारत का हिस्सा थे और अब स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में अस्तित्व में हैं। पाकिस्तान ने अपनी भागीदारी की पुष्टि कर दी है, जबकि बांगलादेश से अभी पुष्टि का इंतजार किया जा रहा है। IMD के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम चाहते थे कि वे सभी देश जो IMD की स्थापना के समय अविभाजित भारत का हिस्सा थे, हमारे उत्सव का हिस्सा बनें।"
IMD का ऐतिहासिक योगदान
IMD की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान 1864 के कालीकट चक्रवात और कई मानसून की विफलताओं के बाद की गई थी। उस समय इसकी आवश्यकता महसूस हुई और यह एक साधारण मौसम पूर्वानुमान संस्थान के रूप में शुरू हुआ। लेकिन समय के साथ IMD ने अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया और 150 वर्षों में यह वैश्विक मौसम अनुसंधान, मौसम संचार और पूर्वानुमान में एक प्रमुख केंद्र बन गया।
IMD की 150वीं वर्षगांठ: भविष्य के लिए नई दिशा
IMD की 150वीं वर्षगांठ सिर्फ अतीत की उपलब्धियों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भविष्य की दिशा की ओर एक कदम है। अब IMD को और अधिक सशक्त बनाने के लिए नई तकनीकों और रिसर्च पर जोर दिया जा रहा है। भविष्य में, यह विभाग मौसम पूर्वानुमान और प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी देने में और अधिक सटीकता हासिल करने का लक्ष्य रखता है।