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IAS तपस्या परिहार: पहले प्रयास में असफलता के बाद 23वीं रैंक से बनीं IAS

IAS तपस्या परिहार की कहानी प्रेरणा से भरी हुई है। उन्होंने पहले प्रयास में असफलता का सामना किया, लेकिन दूसरे प्रयास में बिना कोचिंग के 23वीं रैंक हासिल की। जानें उनकी शिक्षा, परिवार और शादी के बारे में, जिसने उन्हें चर्चा में ला दिया। उनकी यात्रा उन सभी के लिए एक उदाहरण है जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
 

IAS तपस्या परिहार की प्रेरणादायक कहानी

आईएएस तपस्या परिहार.Image Credit source: instagram


संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हर साल लाखों उम्मीदवार भाग लेते हैं। चयन प्रक्रिया में प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू शामिल होते हैं। प्रारंभिक परीक्षा के बाद, चयनित उम्मीदवारों की संख्या में कमी आ जाती है, और केवल कुछ हजार उम्मीदवार इंटरव्यू तक पहुंचते हैं। सफल उम्मीदवार वही होते हैं जो योजना के अनुसार तैयारी करते हैं। तपस्या परिहार ने अपने दूसरे प्रयास में परीक्षा उत्तीर्ण की और आईएएस बनीं। आइए उनकी सफलता की कहानी पर नजर डालते हैं।


तपस्या परिहार मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के जोवा गांव से हैं। वह एक साधारण परिवार से आती हैं, जहां उनके पिता किसान हैं। उन्होंने आईएफएस अधिकारी गर्वित गंगवार से विवाह किया है। पहले प्रयास में असफल होने के बाद, उन्होंने बिना कोचिंग के अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की।


IAS तपस्या परिहार की रैंक: UPSC में कितनी रैंक प्राप्त की?


तपस्या ने 2016 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की। पहले प्रयास में कोचिंग लेने के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने अपनी गलतियों को सुधारते हुए दूसरे प्रयास में बिना कोचिंग के 23वीं रैंक हासिल की। वह 2017 बैच की एमपी कैडर की आईएएस अधिकारी हैं।


IAS तपस्या परिहार की शिक्षा: कहां से की पढ़ाई?


तपस्या ने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गांव के केंद्रीय विद्यालय से पूरी की। इसके बाद उन्होंने पुणे के इंडिया लॉ सोसाइटी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्होंने ध्यान केंद्रित किया और नोट्स बनाए, जिसके बाद उन्होंने सफलता हासिल की।


IAS तपस्या परिहार की शादी: चर्चा में रही शादी


तपस्या ने दिसंबर 2021 में IFS अधिकारी गर्वित गंगवार से विवाह किया। उनकी शादी ने एक खास कारण से चर्चा बटोरी, क्योंकि उन्होंने कन्यादान की रस्म में भाग लेने से मना कर दिया। उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह कोई दान की वस्तु नहीं हैं और इस रस्म में शामिल नहीं हुईं।