IAS B. चंद्रकला: यूपी की 'लेडी सिंघम' की नई तैनाती और UPSC में सफलता
IAS B. चंद्रकला की नई जिम्मेदारी
आईएएस बी.चंद्रकला.Image Credit source: IAS B Chandrakala Facebook
IAS B. चंद्रकला: उत्तर प्रदेश की 'लेडी सिंघम' के नाम से मशहूर आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला का हाल ही में तबादला हुआ है। उन्हें वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग का सचिव नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही, वे उत्तर प्रदेश स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना प्राधिकरण की सीईओ भी होंगी। इससे पहले, वे महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव के रूप में कार्यरत थीं। उनकी इस नई भूमिका के चलते वे फिर से चर्चा का विषय बन गई हैं।
आईएएस बी. चंद्रकला न केवल यूपी में, बल्कि पूरे देश में एक चर्चित नाम हैं। उन्हें उनके सख्त आदेशों, औचक निरीक्षणों और कुशल प्रशासन के लिए जाना जाता है। उन्हें 'लेडी सिंघम' के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कई जिलों में जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया है। उनके तबादले के साथ ही कुल 16 आईएएस अधिकारियों का भी तबादला किया गया है।
IAS B. चंद्रकला का प्रोफाइल: UPSC में कब और कितनी रैंक से सफल हुईं?
बी. चंद्रकला का जन्म तेलंगाना के करीमनगर में हुआ। उन्होंने 2007 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 409वीं रैंक प्राप्त की थी। वे 2008 बैच की यूपी कैडर की आईएएस अधिकारी हैं। उनके औचक निरीक्षणों की कई वीडियो वायरल हुईं, जिससे वे चर्चा में आईं। 2012 से 2017 के बीच, उन्होंने उत्तर प्रदेश के पांच जिलों में जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया।
IAS B. चंद्रकला: पूरा नाम क्या है?
उनका पूरा नाम भूख्या चंद्रकला नीरू है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करीमनगर के केंद्रीय विद्यालय से प्राप्त की और हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से आर्ट्स में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की।
IAS B. चंद्रकला की पहली पोस्टिंग कहाँ हुई थी?
उन्होंने 2009 से 2012 तक प्रयागराज में एसडीएम और मुख्य विकास अधिकारी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। 2012 में उन्हें हमीरपुर का जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। 2014 में उनका तबादला मथुरा हुआ, जहाँ वे जिले की दूसरी महिला डीएम बनीं। इसके बाद, उन्होंने बुलंदशहर, बिजनौर और मेरठ में भी डीएम के रूप में कार्य किया। स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, जहाँ उन्होंने 242 गांवों में लगभग 20,000 शौचालयों के निर्माण की देखरेख की।