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H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि से आईटी कंपनियों को भारी नुकसान

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि के कारण भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है। इस निर्णय का असर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, और अन्य कंपनियों पर पड़ा है, जिससे उनके मार्केट कैप में लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और कंपनियों को हुए नुकसान का विस्तृत विवरण।
 

आईटी सेक्टर में गिरावट का कारण

H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि के कारण भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है।

22 सितंबर को, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, विप्रो, HCL टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा और कोफोर्ज जैसी प्रमुख आईटी कंपनियों के शेयरों में 6 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को H-1B वीजा की लागत को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दिया, जिससे आईटी क्षेत्र में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जबकि हाल ही में कुछ सुधार के संकेत मिले थे।

टेक महिंद्रा के शेयर 5 प्रतिशत से अधिक गिरकर 1,453 रुपये पर पहुंच गए, जबकि NSE पर इंफोसिस और TCS के शेयर क्रमशः 1,482 रुपये और 3,065 रुपये पर आ गए। HCL टेक (1,415 रुपये), कोफोर्ज (1,702 रुपये) और एम्फैसिस (2,817 रुपये) में भी 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी आईटी इंडेक्स 3 प्रतिशत से अधिक गिरकर 35,482 पर आ गया। विश्लेषकों का मानना है कि कारोबार फिर से शुरू होने पर आईटी शेयरों को झटका लगेगा।

व्हाइट हाउस का स्पष्टीकरण

एसबीआई सिक्योरिटीज के फंडामेंटल रिसर्च प्रमुख सनी अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि सोमवार को आईटी शेयरों में अचानक गिरावट देखने को मिल सकती है, और ये 1-3 प्रतिशत की गिरावट के साथ खुल सकते हैं। व्हाइट हाउस ने बाद में स्पष्ट किया कि 1,00,000 डॉलर का शुल्क केवल नए एच-1बी आवेदनों पर लागू होगा और यह वार्षिक शुल्क नहीं है। मौजूदा वीज़ा धारकों को रिन्युएबल या अमेरिका में रीएंट्री के लिए अतिरिक्त शुल्क का सामना नहीं करना पड़ेगा। अग्रवाल ने कहा कि इससे नुकसान सीमित होगा, लेकिन कंपनियों के लिए यह अनिश्चितता बनी हुई है कि क्या वे इस बोझ को ग्राहकों पर डाल पाएंगी।

आईटी कंपनियों को शेयर बाजार में काफी नुकसान हुआ है। देश की शीर्ष 10 आईटी कंपनियों के मार्केट में 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। सबसे अधिक प्रभाव टीसीएस पर पड़ा है, जिसकी वैल्यूएशन लगभग 39 हजार करोड़ रुपये कम हो गई है। वहीं, इंफोसिस की वैल्यूएशन 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक घट गई है।

आईटी कंपनियों को हुए नुकसान का विवरण

  1. टीसीएस को 38,633.7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 11,08,023.80 करोड़ रुपये रह गया।
  2. इंफोसिस को 25,024.41 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 6,14,728.28 करोड़ रुपये रह गया।
  3. एचसीएल टेक को 16,892.57 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 3,81,310.65 करोड़ रुपये रह गया।
  4. टेक महिंद्रा को 9,825.01 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 1,42,398.97 करोड़ रुपये रह गया।
  5. विप्रो को 9,435.21 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 2,59,048.94 करोड़ रुपये रह गया।
  6. एलटीआई माइंडट्री को 9,169.65 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 1,54,166.35 करोड़ रुपये रह गया।
  7. परसिसटेंट सिस्टम को 4,748.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 81,312.36 करोड़ रुपये रह गया।
  8. एम्फैसिस को 3,375.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 56,920.39 करोड़ रुपये रह गया।
  9. कोफॉर्ज को 3,045.96 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 57,008.37 करोड़ रुपये रह गया।
  10. हैपिएस्ट माइंड को 213.95 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी का मार्केट कैप 8,625.60 करोड़ रुपये रह गया।